प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे अरुणोदय चौबे अब जल्द ही हो सकते हैं भाजपा में शामिल
भोपाल
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे अरुणोदय चौबे अब जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का मन इसलिए बनाया कि हाल ही में उन पर हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज हुआ, लेकिन पार्टी और उनके बड़े नेताओं ने उनकी सुध नहीं ली। वे लंबे अरसे तक फरारी में रहे। इससे पहले भी वे हत्या का आरोप झेल चुके हैं।
अरुणोदय चौबे के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब उनके भाजपा में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन पर दो बार भारी मुसीबत आई। इस मुसीबत का कारण भी पार्टी से उन्होंने जोड़कर बताया। उन्होंने बताया कि पहले भी सात साल तक मैं हत्या के मामले में परेशान रहा। तब भी जिला संगठन से लेकर कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने कोई मदद नहीं की,न ही मदद करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि हाल ही में कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठी चार्ज किया और उन समेत कई लोगों पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर दिया गया। इसमें से कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तीन महीने तक वे जेल में रहे, इस दौरान न तो जिला संगठन का कोई पदाधिकारी इन लोगों से मिलने जेल गया, न ही किसी बड़े नेता ने इनकी मदद की। मैं भी कई दिनों तक इस मामले में फरार रहा। जब पार्टी के नेता ऐसी परेशानी में साथ ही नहीं खड़े हो रहे तो फिर ऐसी पार्टी में रहना ठीक नहीं। इसलिए पार्टी को छोड़ दिया। हालांकि उन्होंने बताया कि इस्तीफा देने के बाद उनकी कमलनाथ से बात हुई, लेकिन उन्होंने इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया।
अरुणोदय चौबे को कमलनाथ गुट का माना जाता था। वे 1998 में विधानसभा का पहला चुनाव बीना से लड़े थे। इसके बाद दूसरा चुनाव वे खुरई से लड़े और पहली बार विधानसभा में पहुंची। वे चार चुनाव अब तक लड़ चुके हैं,जिसमें दो बार जीते और दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
पीसीसी डेलीगेट्स को लेकर पार्टी में उभर रही नाराजगी
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधियों के चुने जाने और उनके मनोनयन को लेकर जिलों तक में नाराजगी उभर कर सामने आ रही है। इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय तक कई शिकायतें पहुंची है। इन शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। जबकि कई शिकायतें जिला संगठन को की गई है। वहीं अब एआईसीसी डेलीगेट्स की सूची का इंतजार किया जा रहा है। सूत्रों की मानी जाए तो भोपाल से लेकर अधिकांश जिलों में पीसीसी डेलीगेट्स चुने जाने चुने जाने को लेकर कार्यकर्ताओं में रोष है। विदिशा में कुछ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने यह आरोप लगा दिए कि जिन्होंने पार्टी की गिने-चुने सदस्य बनाए उन्हें पीसीसी डेलीगेट बना दिया गया, जबकि हजारों की संख्या में सदस्य बनाने वालों को इसमें जगह तक नहीं दी। इसी तरह की शिकायत भिंड में भी सामने आई है। यहां पर एक पूर्व विधायक ने भी इस संबंध में अपनी नाराजगी पीसीसी चीफ तक पहुंचा दी है। भोपाल में भी जिला संगठन पर अपने करीबियों को पीसीसी डेलीगेट बनाए जाने के आरोप लग रहे हैं। इनमें से कुछ कार्यकर्ता एवं नेता दिल्ली तक इसकी शिकायत कर सकते हैं।