झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन भाजपा में शामिल, शिवराज-हिमंता और मरांडी ने किया स्वागत
रांची.
चंपई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा देने के बाद आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की मौजूद रहे। गौरतलब है कि चंपई सोरेन ने दो दिन पहले ही झामुमो से इस्तीफा दिया था।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय जनता पार्टी में चंपई सोरेन का स्वागत करते हुए उन्हें अहम संपत्ति बताया। शिवराज ने कहा "चंपई सोरेन भाजपा के लिए और झारखंड को बचाने के लिए अहम संपत्ति हैं। वे एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनकर झारखंड को सही रास्ते पर लाने का काम किया और परिणामस्वरूप, उन पर जासूसी शुरू कर दी गई है। चंपई सोरेन का अपमान किया गया, यह न केवल चंपई सोरेन का बल्कि पूरे झारखंड का अपमान है। उन्होंने आज भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है और हम उनका स्वागत करते हैं। उनके शामिल होने से यहां भाजपा को मजबूती मिलेगी। चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।"
बीजेपी झारखंड ने भी किया स्वागत
झारखंड बीजेपी के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी चंपई सोरेन का स्वागत किया गया। चंपई के लिए किए गए पोस्ट में लिखा गया "माटी और बेटी की सुरक्षा, परिवारवादी ताकतों से झारखंड को मुक्ति दिलाने का संकल्प लेकर भाजपा परिवार में शामिल हो रहे कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन जी का हार्दिक स्वागत है।" केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा असम के सीएम और झारखंड चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा और झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित अन्य भाजपा नेता 'प्रवासी कार्यकर्ता सम्मेलन' में शामिल हुए।
झारखंड चुनाव से पहले बीजेपी को फायदा
झारखंड में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले चंपई सोरेन का बीजेपी में शामिल होने पार्टी के लिए अच्छी खबर है। चंपई के जाने से झारखंड मुक्ति मोर्चा का जनाधार कमजोर होगा और वही जनाधार बीजेपी के साथ जुड़ेगा। इससे राज्य में बीजेपी की ताकत मजबूत होगी। आदिवासी वोटबैंक में चंपई की पकड़ मजबूत है और उनके दम पर बीजेपी राज्य में सत्ता हासिल कर सकती है।
चंपाई को क्यों साध रही है BJP
बता दें कि कोल्हान टाइगर के नाम से प्रसिद्ध चंपाई सोरेन पार्टी के संरक्षक शिबू सोरेन के बाद झामुमो में सबसे वरिष्ठ आदिवासी नेता थे. झामुमो में उनका कद इस बात से समझा जा सकता है कि जब हेमंत सोरेन ने ईडी की गिरफ्तारी के कारण झारखंड के मुख्यमंत्री पद से हटने का फैसला किया तो उनके कैबिनेट सहयोगी जोबा माझी की जगह चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि रांची जेल से रिहा होने के बाद 4 जुलाई को हेमंत सोरेन सीएम ऑफिस लौट आए. चंपाई सोरेन को झारखंड कैबिनेट में नए शिक्षा मंत्री के तौर पर शामिल किया गया, लेकिन यह बात 'कोल्हान के टाइगर' को रास नहीं आई. और उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक्स पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान किया.
कोल्हान क्षेत्र में चंपाई सोरेन की मजबूत पकड़ का इतिहास काफी पुराना है. उन्हें मजदूर वर्ग के नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के लिए लड़ाई लड़ी. उन्हें खुद इस बात पर गर्व है कि इस क्षेत्र के स्थानीय गांवों के 10 हजार से ज्यादा युवाओं को टाटा समूह जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठानों में नौकरी मिली. आदिवासी बहुल इलाके कोल्हान की वजह से ही JMM ने 2019 के विधानसभा चुनावों में अपनी जीत पक्की की थी. मोदी लहर और राम मंदिर लहर के बावजूद, हेमंत सोरेन की JMM ने 14 विधानसभा क्षेत्रों में से 11 पर जीत हासिल की और दो पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. इन नंबरों के कारण ही JMM ने झारखंड चुनावों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ चुनावी नंबर दर्ज किया था. इसलिए माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाने के लिए बीजेपी के लिए चंपाई सोरेन अहम हैं.
कोल्हान टाइगर कितने पावरफुल?
कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन झारखंड की प्रभावशाली संथाल जनजाति से आते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की कुल 3 करोड़ 29 लाख 88 हजार 134 की आबादी में जनजातियों की भागीदारी 86 लाख 45 हजार 42 लोगों की है. इसमें भी अकेले संथाल आबादी ही 27 लाख 54 हजार 723 लाख है. चंपाई सोरेन संथाल जनजाति के शीर्ष नेताओं में गिने जाते हैं. झारखंड राज्य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले चंपाई की अन्य जनजाति के लोगों के बीच भी मजबूत पैठ मानी जाती है.