राजस्थान-DOIT का अफसर पांच साल में बना करोड़पति, एसीबी की एफआर को कोर्ट में चुनौती
जयपुर.
पिछले कुछ सालों में राजस्थान में डिपार्टमेंट ऑफ इन्फॉरमेशन एंड टेक्नॉलोजी (DOIT) भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन गया। इसके तत्कालीन चेयरमैन आईएएस अखिल अरोड़ा से लेकर नीचे के बहुत से अफसरों के खिलाफ एसीबी में कई शिकायतें भी हुईं। एसीबी ने जांच की अनुमति के लिए सरकार को चिट्ठी भी लिखी लेकिन अफसरों के प्रभाव के आगे सिस्टम बौना नजर आया।
पिछले दिनों DOIT के अफसर कुलदीप यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी ने कोर्ट में एफआर लगाई। शिकायतकर्ता डॉ. टीएन शर्मा ने इस एफआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी और गुरुवार को मामले में सुनवाई हुई, जिसमें डॉ. टीएन शर्मा की तरफ से अधिवक्ता पूनम सिंह भंडारी और इंद्रजीत कथूरिया ने पैरवी की। परिवादी की तरफ से बताया गया कि उनकी शिकायत पर ही मुकदमा दर्ज हुआ था और ACB के जांच अधिकारी ने मिलीभगत करके मामले में एफआर लगा दी।
तीन दिन में जमा हुए 90 लाख
अधिवक्ता पूनम सिंह भंडारी और इंद्रजीत कथूरिया ने बताया कि डॉ. टीएन शर्मा ने दिसंबर 2019 में एसीबी के अधीक्षक को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर बताया था कि सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के तत्कालीन उपनिदेशक कुलदीप यादव ने 2013 में नौकरी ज्वाइन की और 5 साल के समय में उसने करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली। इस शिकायत पर जांच करवाई गई और शिकायत सही पाए जाने पर कुलदीप यादव के घर छापा मारा गया, जहां आलीशान सामान के साथ करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति मिली। जांच में पता चला कि कुलदीप यादव ने करोड़ों रुपये अपनी पत्नी आशा यादव के खाते में जमा करवाए और पांच वर्ष के कार्यकाल में ही अकूत संपत्ति जमा की जो कि उसकी कुल तनख्वाह से कहीं अधिक पाई गई। इसके बाद बड़े अफसरों के दबाव में पूरी जांच घुमा दी गई और कुलदीप यादव की पत्नी के खातों में आए पैसे उसके पिता की तरफ से उपहार में लिए बता दिए गए। जिस फ्लैट को यादव ने खरीदा था, उसकी कीमत 1 करोड़ रुपये से ज्यादा थी और इंटीरियर पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे लेकिन उस पर भी लीपापोती कर दी गई। एसीपी राजेश जांगिड़ ने अपने बयान बताया कि कुलदीप यादव ने भ्रष्ट तरीके से करोड़ों की संपत्ति बनाई है लेकिन एसीबी कोर्ट ने इन तथ्यों पर गौर के बिना मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने जताई हैरानी
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने बहस सुनकर आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसे संगीन मामले में फाइनल रिपोर्ट देना और जांच अधिकारी के द्वारा न्यायालय को एफआर को स्वीकार करने का निवेदन करना आश्चर्यजनक है, जबकि एसीबी के बयान से स्पष्ट है कि अभियुक्त ने भ्रष्टाचार के जरिए करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की है। हाईकोर्ट ने अब इस मामले में एसीबी के महानिदेशक को ही तलब कर लिया है और 6 सितंबर को इसमें सुनवाई की तारीख दी है। इधर परिवादी डॉ. टीएन शर्मा ने आरोप लगाया कि डीओआईटी के तत्कालीन चेयरमैन और मौजूदा वित्त विभाग के एसीएस अखिल अरोड़ा ने इस पूरे मामले में जांच नहीं होने दी। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से मामलों में डीओआईटी ने जांच दबाने का काम किया है।