झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन से मिले असम के CM सरमा, मां कामख्या मंदिर और घर आने का दिया निमंत्रण
रांची.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को चंपई सोरेन से मुलाकात की और उन्हें असम आने का न्योता भी दिया। वहीं, उन्होंने नमाज के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक को समाप्त करने पर भी बात की। सीएम सरमा ने झामुमो के पूर्व नेता पर कहा, 'कल चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हुए इसलिए मैंने सोचा मुझे जाना चाहिए और बधाई देनी चाहिए। तभी आज सुबह मैं यहां आया और उनसे बातचीत की। सामान्य बातचीत की। मैंने उन्हें असम आने के लिए न्योता दिया है। इसके अलावा, सोरेन को मां कामख्या मंदिर में मत्था टिकाने और मेरे घर भोजन करने के लिए भी आमंत्रित किया है।'
विधानसभा को लेकर तेजस्वी यादव के बयान पर पूछे जाने पर सीएम सरमा ने कहा कि कौन क्या बयान दे रहा है, उससे हमारा काम नहीं रुकेगा। हमारा काम सदैव जारी रहेगा। वहीं, झारखंड चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी ने कहा, 'मैंने कहा कि अगर झामुमो घुसपैठियों के खिलाफ खड़ा होगा तो हमें साथ मिलकर काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।'
विधानसभा में दो घंटे के ब्रेक पर क्या बोले सीएम?
असम विधानसभा में नमाज के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक को समाप्त करने के फैसले पर लगातार आलोचना हो रही है। इस पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम विधायकों ने एक साथ बैठकर सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है। उन्होंने आगे कहा, 'हमारी विधानसभा के हिंदू और मुस्लिमों ने माला नियम समिति (Malas Rule Committee) में बैठकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि दो घंटे का ब्रेक सही नहीं है। हमें इस अवधि के दौरान भी काम करना चाहिए। यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और कल से इसे बंद कर दिया गया है। यह सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय है। यह सिर्फ मेरा फैसला नहीं है।'
यह है मामला
गौरतलब है, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने कल सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट करते हुए असम विधानसभा में नमाज के लिए दो घंटे के दिए जाने वाले ब्रेक को खत्म करने की बात कही थी। सरमा ने कहा था, राज्य विधानसभा ने औपनिवेशिक असम में सादुल्लाह की मुस्लिम लीग सरकार द्वारा शुरू की गई हर शुक्रवार को जुमा की नमाज के लिए दो घंटे के स्थगन की प्रथा को समाप्त कर दिया। असम विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए, प्रति शुक्रवार सदन को जुमे के लिए दो घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया। यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू की थी।