हमारी संस्कृति से अभिन्न है पर्यावरण अध्यन – आचार्य डॉ. शर्मा
भिलाई
भारत वर्ष एक कृषिप्रधान और ऋषिप्रधान देश है। हमारे यहाँ प्रकृति और संस्कृति एक दूसरे से अभिन्न है। हम कल्चर और एग्रीकल्चर को एक दूसरे से अलग नहीं कर सकते। हमारे चिंतन, लेखन और पठन पाठन का ये मूल आधार है। आधार पाठ्यक्रम इसी चिंतन पर आधारित है। आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी से संसार बना है। हमारा शरीर भी इन्हीं से बना है और इसी में अंत में विलीन हो जाता है। वेद, रामायण, महाभारत और गीता आदि हमारे महान ग्रन्थ नदियों, पेड़-पौधों, वर्षा, हरियाली और पर्यावरण की रक्षा ही नहीं बल्कि पूजा भी करते है। हमारे स्वर्णिम इतिहास एवं संस्कृति में भी वर्तमान तकनीकी और विज्ञान की बातें पहले ही कह दी गयी है. उक्त विचार हैं साहित्य संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा के।
लेखक एवं शिक्षाविद आचार्य डॉ. शर्मा मोहनलाल जैन (मोहन भैया) शासकीय महाविद्यालय खुसीर्पार में विश्?व ओजोन दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से महाविद्यालय के प्राध्यापकों और बड़ी संख्या में उपस्थित कला, विज्ञान, वाणिज्य और कंप्यूटर विज्ञान स्नातक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। डॉ. शर्मा ने आगे कहा कि पृथ्वी के चारों ओर 15-35 किलोमीटर के बीच में विद्यमान आॅक्सीजन के तीन परमाणुओं से बने अणुओं को ओजोन कहते है, इसी से ओजोन परत निर्मित होती है। हमें गाडि?ों के ध्रूम प्रदूषण से इसे बचाना है और प्राणवायु देने वाले पौधों की रक्षा करनी है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. शर्मा ने 25-30 वर्ष तक पर्यावरण का पठन पाठन और लेखन किया है। आचार्य डॉ. शर्मा खुसीर्पार कॉलेज के लगभग 2 वर्ष प्रभारी एवं सफल प्राचार्य भी रहे है। वर्तमान प्राचार्य प्रो. ओ पी अग्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और डॉ. शर्मा का स्वागत किया। उन्होंने कहा डॉ. शर्मा का सम्बोधन विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम के हिसाब से बहुत उपयोगी है। राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रभारी अधिकारी एवं रसायन विज्ञानं की विदुषी विभागाध्यक्षा डॉ. अलका शुक्ला ने आचार्य डॉ. शर्मा का विस्तृत परिचय दिया जिससे विद्यार्थियों को प्रेरणा मिली।
श्रीमती डॉ. अलका शुक्ला ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए विषय की भूमिका भी रखी। डॉ. शर्मा ने पर्यावरण विज्ञानं के प्रश्नोत्तरों एवं प्रोजेक्ट फाइल्स के लिए पेपर्स, मैगजीन आदि से संग्रहित विस्तृत मुद्रित सामग्री विद्यार्थियों को सौपीं। उन्होंने अपनी लिखी हुयी गागर में सागर, साहित्य और समाज एवं प्रेरणा प्रदीप आदि 3 पुस्तकें भी क्रमश: प्राचार्य प्रो. अग्रवाल, डॉ. अलका शुक्ला और सुश्री रोली यादव को भेंट की। कार्यक्रम के अंत में आभार ज्ञापन वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. सुनीता झा ने किया। विद्यार्थियों की ओर से मिहिर मेश्राम एवं श्रेया सिंह ने कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी, रोचक एवं ज्ञानवर्धक बताया। इस अवसर पर प्रो. राकेश बेले, डॉ. निभा ठाकुर, सोमलता, राजेश्वरी वर्मा, डॉ. मिली चंद्राकर, आरजू आदि प्राध्यापकगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण लाभन्विन्त हुए।