November 30, 2024

बेंगलुरु रामेश्वरम कैफे में केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की, बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा

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बेंगलुरु
बेंगलुरु रामेश्वरम कैफे में केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है। आरोपियों की पहचान मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के रूप में की गई है। इनके खिलाफ आईपीसी, यूए(पी) अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोपपत्र दायर किया गया है। एनआईए ने चार्जशीट में कई बड़े खुलासे किए हैं। चार्जशीट में बताया गया है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन बीजेपी ऑफिस पर हमले की साजिश रची थी।

चार्जशीट में बताया गया कि ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से सिम कार्ड और बैंक खातों का इस्तेमाल किया। डार्क वेब से डाउनलोड किए गए भारतीय और बांग्लादेशी पहचान दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया। जांच में आगे पता चला कि ताहा को आतंकी शोएब अहमद मिर्जा ने मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था, जो लश्कर के बेंगलुरु मॉड्यूल मामले में फरार है। ताहा ने फिर फैसल, अपने हैंडलर महबूब पाशा, अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज मुनीर अहमद से मिलवाया। एनआईए ने बताया कि बेंगलुरु में अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा को अंजाम देने के लिए फंड का इस्तेमाल किया। इनमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन और बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित भाजपा कार्यालय पर एक असफल आईईडी हमला भी शामिल ।

बता दें कि इसी साल 1 मार्च को आईटीपीएल बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट में नौ लोग घायल हो गए थे। इस धमाके में होटल की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था। एनआईए ने 3 मार्च को इस मामले की जांच शुरू की थी। जांच से पता चला कि मुसाविर हुसैनशाजिब ही वह व्यक्ति था, जिसने बम लगाया था। साल 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद अब्दुल मथीन अहमद ताहा के साथ वो फरार हो गया था।

रामेश्वरम कैफे विस्फोट के 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले ये दोनों लोग आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े हुए हैं। उन्होंने पहले सीरिया में आईएसआईएस के इलाकों में हिजरा करने की साजिश रची थी। वे अन्य भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस की विचारधारा में कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ऐसे युवाओं में से थे।

 

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