September 22, 2024

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो की लिबरल पार्टी की मॉन्ट्रियाल सीट पर हुए उप चुनाव में करारी हार हुई

0

टोरंटो
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो की लिबरल पार्टी की मॉन्ट्रियाल सीट पर हुए उप चुनाव में करारी हार हुई है। इसके बाद उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। इस सीट को उनकी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। बावजूद इसके ट्रूडो की पार्टी की करारी शिकस्त हुई है। संघीय उपचुनाव में अपमानजनक हार का सामना करने के बाद जस्टिन ट्रूडो सरकार के खिलाफ विपक्ष अगले सप्ताह की शुरुआत में अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है।

सोमवार को जारी नतीजों में कहा गया है कि सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी की उम्मीदवार लॉरा फिलिस्तीनी को अलगाववादी ब्लॉक क्यूबेकॉइस के उम्मीदवार लुई-फिलिप सॉवे ने हरा दिया है। इस उप चुनाव में लुई-फिलिप सॉवे को 28 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि लिबरल पार्टी की उम्मीदवार लौरा फिलिस्तीनी को 27.2% वोट मिले। तीसरे नंबर पर न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार रहे हैं, जिन्हें 26.1 फीसदी वोट मिले हैं।

इस सीट पर उप चुनाव पूर्व कैबिनेट मंत्री और लिबरल पार्टी के सांसद डेविड लैमिटी के इस्तीफे के कारण हुआ है, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 2021 के संघीय चुनाव में लगभग 20 प्रतिशत के अंतर से जीत हासिल की थी। कनाडा की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह तीन महीनों के अंदर यह दूसरी बड़ी हार है। इससे पहले जून में भी लिबरल पार्टी को टोरंटो जैसे सुरक्षित गढ़ में हार का सामना करना पड़ा था। इन दोनों हार के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि अगले साल अक्तूबर में संघीय चुनाव होने हैं।

ट्रूडो की अगली चुनौती अगले सप्ताह आने वाली है, जब विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी संसद में जस्टिन ट्रूडो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। विपक्षी दल इसकी तैयारी कर रहे हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने लिखा है,"टक्स बढ़ गए हैं। लागतें बढ़ गई हैं। अपराध बढ़ गए हैं। समय भी अब खत्म हो गया है।"

ट्रूडो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का खता इसलिए भी मंडरा रहा है क्योंकि पोलीवरे समय से पहले चुनाव कराना चाहते हैं। सोमवार को एजेंसी एबैकस डेटा द्वारा जारी किए गए एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अगर इस समय चुनाव होते हैं, तो 43 फीसदी वोट कंजर्वेटिव पार्टी को मिल सकते हैं, जबकि सिर्फ 22 फीसदी वोट ही जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को मिलने की बात कही गई है। लिबरल्स को। एजेंसी ने कहा, "अगस्त में हमारे पिछले सर्वेक्षण के बाद से कंजर्वेटिव और लिबरल्स के बीच का अंतर 4 फीसदी बढ़ गया है।"

बता दें कि नौ साल के कार्यकाल के बाद जस्टिन ट्रूडो तेजी से कनाडा में अलोकप्रिय होते जा रहे हैं। खालिस्तान समर्थकों की बैसाखी के सहारे सरकार चला रहे ट्रूडो से अब खालिस्तानी भी नाराज दिख रहे हैं। ऐसे में उनके लिए आगे की राह मुश्किल हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *