November 28, 2024

जमुई में तैयार होगा कड़कनाथ का चूजा

0

जमुई
कड़कनाथ के शौकीन के साथ-साथ उसके पालकों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें चूजे के लिए अन्यत्र भटकना नहीं होगा। कड़कनाथ सहित अन्य मुर्गियों व बटेर का चूजा कृषि विज्ञान केंद्र जमुई में जल्द ही उपलब्ध होगा। इसके लिए बिहार पशु विश्वविद्यालय ने प्रदर्शन इकाई की स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही 50 लाख रुपये का आवंटन भी कृषि विज्ञान केंद्र को प्राप्त हो गया है। जमुई में चूजे की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाने से मुर्गी पालकों को समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत होगी।

कड़कनाथ और के देवेंद्र नस्ल की मुर्गी पालने वाले युवा किसान सुजीत कुमार ने प्रदर्शन इकाई की स्वीकृति पर प्रसन्नता व्यक्त की है। साथ ही कहा कि अब उन्हें चूजे के लिए भागलपुर, रांची और बरेली जाने की जरूरत नहीं होगी। कृषि विज्ञान केंद्र में चूजे की उपलब्धता सुनिश्चित होने से परिवहन खर्च की बचत होने के साथ-साथ चूजे का मृत्यु दर कम होगा। इससे मुर्गी पालकों को चूजा लाने में कम नुकसान उठाना पड़ेगा।

कड़कनाथ और वनराजा से होगी शुरुआत
प्रारंभिक दौर में कड़कनाथ और वनराजा नस्ल के चूजे तैयार किए जाएंगे। शुरुआत में इसकी क्षमता प्रति महीना प्रति नस्ल एक-एक हजार की होगी। बाद में क्षमता विस्तार किया जाएगा।

कड़कनाथ की है काफी डिमांड
कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियां एवं मुर्गे की काफी डिमांड है। खासकर संपन्न तबके के लोग इसे अत्यधिक पसंद करते हैं। बताया जाता है कि इसमें अत्यधिक पौष्टिकता होने के कारण ही इसकी कीमत हजार-बारह सौ प्रति किलो होती है। जमुई जैसे शहरों में तो गिने चुने दुकानदार ही बिक्री के लिए कड़कनाथ मुर्गा रख पाते हैं।

स्वरोजगार का मिलेगा अवसर
स्थानीय स्तर पर किफायत दर में कड़कनाथ का चूजा उपलब्ध होने के कारण युवकों का आकर्षण मुर्गी पालन की ओर बढ़ेगा। इससे स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे। अन्न उत्पादक संघ के निदेशक नंदलाल सिंह, प्रगतिशील किसान विपिन मंडल, बालाडीह निवासी हरिहर महतो आदि बताते हैं कि जमुई में चूजा उपलब्ध होने के बाद कड़कनाथ नस्ल की मुर्गी का पालन कुटीर उद्योग का रूप ले सकता है। उक्त नस्ल के अनुरूप ही जमुई की आबोहवा भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *