November 24, 2024

ईशनिंदा पर पाक में डॉक्टर से हैवानियत, शव तक नहीं दफनाने दिया, छीन कर फूंका

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 इस्लामाबाद

पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों में मॉब लिंचिंग आम बात हो गई है। अब एक पेशेवर डॉक्टर का ईशनिंदा के आरोपों में एनकाउंटर कर दिया गया और फिर उसके शव को भी उपद्रवियों ने छीन लिया और उसे दफनाने भी नहीं दिया। उपद्रवी इस बात से नाराज थे कि आखिर ईशनिंदा करने वाले डॉक्टर को इस्लामी परंपरा के अनुसार दफनाया क्यों जा रहा है। उमरकोट के रहने वाले डॉक्टक शाह नवाज कुनबार पर आरोप था कि उन्होंने फेसबुक पर ईशनिंदा करने वाली पोस्ट लिखी थी। इस मामले में उनके खिलाफ उमरकोट पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया था। आरोप था कि डॉक्टर कराची भाग गए थे और वहां से उमरकोट पुलिस पकड़कर मीरपुर खास लाई थी। पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में पुलिस द्वारा एनकाउंटर के नाम पर मारने का एक सप्ताह के अंदर यह दूसरा मामला है।

पुलिस का कहना है कि मीरपुर खास लाए जाने के दौरान ही डॉक्टर और उसके एक साथी ने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इस पर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उसे गोली मार दी और डॉक्टर की मौत हो गई। वहीं उसका साथी भागने में कामयाब हो गया। डॉ. शाह नवाज ने अपने फेसबुक अकाउंट पर की गई टिप्पणी पर बवाल मचने के बाद वीडियो जारी कर सफाई दी थी। डॉक्टर का कहना था कि मेरा फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया था और मैं तो सपने में भी ईशनिंदा वाली बात नहीं लिख सकता।

वहीं डॉक्टर शाह नवाज के बारे में उमरकोट के जिला अस्पपताल की ओर से बताया गया कि वह एक अच्छे चिकित्सक थे, जो 12 सितंबर से ही लापता थे। परिजनों का कहना है कि वह बीते कुछ समय से मानसिक विकारों से पीड़ित थे। डॉक्टर की एक टिप्पणी से हालात ऐसे बिगड़ गए कि भड़के लोगों ने उन्हें दफनाने तक नहीं दिया। पुलिस ने परिजनों को उनका शव एनकाउंटर के बाद सौंप दिया था। इसके बाद परिजन उनके शव को कार में लेकर गांव पहुंचे थे। यहां दफनाने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि उपद्रवियों की भीड़ ने हमला कर दिया और शव को छीन ले गए।

इन लोगों ने डॉक्टरों के शव को जला दिया। मारे गए डॉक्टर के तीन बेटे और एक बेटी हैं। इसके अलावा इनकी पत्नी हैं। परिजनों का कहना है कि वह मानसिक समस्याओं से जूझ रहे थे और बीते 4 सालों से उनका इलाज चल रहा था। यूके में रहने वाले मनोचिकित्सक डॉ. शाहिद उनका इलाज कर रहे थे। डॉ. शाहिद उनके भतीजे भी हैं। डॉ. शाह नवाज को दफनाने तक न देने से उनका परिवार दुखी है। कहा जा रहा है कि वह पढ़ाई में अव्वल थे और डॉक्टरी भी अच्छे नंबरों से पास की थी। वह एक समर्पित राष्ट्रवादी थे और इस्लामिक मान्यताओं में भी उनकी आस्था थी, लेकिन बीते कुछ समय से वह मानसिक रूप से विक्षिप्त जैसे हो गए थे।

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