November 26, 2024

कर्नाटक हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका लगा, मुडा घोटाले में फंसे सीएम

0

बेंगलुरु
कर्नाटक हाईकोर्ट से मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए/मुडा) भूमि घोटाले मामले में राज्यपाल की ओर से दिए गए अभियोजन आदेश पर सवाल उठाने वाली सीएम की रिट याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले को बरकरार रखते हुए आदेश पारित किया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अभियोजन की मंजूरी देने के लिए राज्यपाल सक्षम हैं। इस बीच आपको बताते हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया मुडा घोटाले में क्या फंसे हैं। जानकारी के अनुसार, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था है। जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य इसकी ही जिम्मेदारी है। भूमि घोटाले की वजह से इसे ‘मुडा’ नाम दिया गया है। साल 2004 से ही इस मामले में मुडा का नाम जुड़ाता आ रहा है। यह मामला मुडा की तरफ से उस समय मुआवजे के तौर पर भूमि के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है, राज्य के सीएम सिद्दारमैया थे। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं होने के कारण सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ। इस मामले में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग के अधिकारियों के नाम भी सामने आए।

जानकारी के अनुसार, मुडा घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। बताया जा रहा है सीएम सिद्दारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने कुछ जमीन गिफ्ट के तौर पर दी थी। यह जमीन मैसूर जिले के कैसारे गांव में स्थित है। बाद में इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) ने अधिग्रहित कर लिया। इसके बदले पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट के प्लॉट दे दिए गए। आरोप है कि दक्षिण मैसूर के प्रमुख इलाके में मौजूद विजयनगर के प्लॉट की कीमत कैसारे गांव की उनकी मूल जमीन से बहुत अधिक है। इसी को लेकर सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हैं।

बता दें कि सीएम सिद्दारमैया ने 19 अगस्त को राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने राज्यपाल के आदेश को रद्द करने की अपील करते हुए याचिका में कहा था कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया और इसे वैधानिक नियमों का उल्लंघन बताया था। हालांकि, कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।

कर्नाटक के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने अगस्त में ही राज्यपाल थावरचंद गहलोत की ओर से सिद्दारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत देने के खिलाफ राजभवन चलो विरोध प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने राज्यपाल थावरचंद पर भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल के समक्ष कई अन्य मामले भी लंबित हैं, लेकिन उन्होंने उन पर कोई फैसला नहीं लिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *