राजस्थान की कुर्सी छोड़ने को तैयार गहलोत , राहुल गांधी की ‘ना’ के बाद यूटर्न; दी यह दलील
कोच्चि
राहुल गांधी की ओर से 'एक व्यक्ति एक पद' का संकल्प याद दिलाए जाने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुर बदल गए हैं। कांग्रेस की कमान के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की इच्छा जाहिर कर चुके गहलोत ने राहुल गांधी की ओर से दो पद के लिए 'ना' कहने के बाद रुख बदल लिया है। अब उन्होंने माना है कि दोनों पदों पर एक साथ काम करने से न्याय नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि वह जीतते हैं तो मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देंगे।
राहुल गांधी से एक बार फिर अध्यक्ष बनने की अपील करने के लिए कोच्चि पहुंचे अशोक गहलोत ने मीडिया कर्मियों से बाचीत में कहा, ''दो पद की कोई समस्या नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष जो बनेगा न्याय तभी कर पाएगा, उसे पूरे मुल्क में काम करना है, दो पद पर काम हो नहीं सकता है। लेकिन इसमें कोई बाधा नहीं है, कोई भी खड़ा हो सकता है। एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला यहां लागू नहीं होता है। परंतु कांग्रेस अध्यक्ष कोई बनता है तो वह दो पद पर काम नहीं कर सकता है ना, उसे पूरे देश का देखना होगा। न्याय करने के लिए एक पद पर रहना ज्यादा उचित है।''
गहलोत ने यह भी कहा कि उनका बस चले तो वह किसी पद पर ना रहें। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। गहलोत ने कहा, ''मैंने तो कहा है कि मेरी इच्छा है और मेरा बस चले तो मैं किसी पद पर ना रहूं। मैं लगातार 40 साल तक केंद्रीय मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री रहा हूं। मैं बिना पद राहुल गांधी के साथ पदयात्रा में शामिल हो जाऊं।'' उन्होंने खुद को पार्टी का सिपाही बताते हुए कहा कि पद या बिना पद के जो भी काम दिया जाएगा उसके लिए वह तैयार हैं।
गहलोत ने एक बार फिर राहुल गांधी से अपील की कि वह अध्यक्ष बनें। गहलोत ने कहा, ''सब चाहते हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष बने क्योंकि आज जो देश में हालात हैं वे चिंताजनक है। लोकतंत्र खतरे में है। ऐसे वक्त में मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है, जो कांग्रेस ही हो सकती है। मैं आखिरी बार उनसे अपील करने आया हूं कि वह नामांकन भरें।''