सरकार के इस नियम का उठाया जा रहा फायदा! नाबालिग बच्चों के नाम से विदेश में प्रॉपर्टी खरीद रहे लोग
नई दिल्ली
विदेशों में भारतीय लगातार प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। कई रिपोर्ट में इस बात की जानकारी सामने आई है कि दुनिया के कई शहर प्रॉपर्टी के मामले में भारतीयों के लिए हॉट डेस्टिनेशन बन गए हैं। इनमें कैलिफोर्निया, दुबई, लंदन आदि प्रमुख हैं। भारतीयों की ओर से सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी यूएई में खरीदी जा रही है। अब एक बात और सामने आई है। काफी भारतीय अपने नाबालिग बच्चों के नाम से विदेश में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं।
रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत नाबालिग विदेश में पैसा भेज रहे हैं। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार LRS नॉर्म्स के तहत कोई भी शख्स संपत्ति खरीदने या किसी भी दूसरे उद्देश्य के लिए प्रति वर्ष 2.50 लाख डॉलर से ज्यादा रकम विदेश नहीं भेज सकता। 24 अगस्त 2022 से प्रभावी हुए संशोधन के अनुसार अगर वह उस रकम को 180 दिनों के भीतर निवेश नहीं करता है तो वह रकम वापस भारत भेजनी होगी। विदेशी निवेश पर बढ़ती जांच और नॉन-डिस्क्लोजर के लिए ब्लैक मनी एक्ट के तहत कड़े नियमों को देखते हुए हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) एक्सपर्ट की सलाह ले रहे हैं।
क्या था पहले नियम?
पहले नियम था कि विदेश भेजी गई रकम को विदेशी खातों में जमा किया जा सकता था। जब रकम ज्यादा जमा हो जाए तो उससे दुबई या दूसरे देशों में प्रॉपर्टी खरीदी जा सकती थी। जमा रकम के लिए कोई समय-सीमा नहीं थी। लेकिन अब 180 दिन की सीमा के कारण विदेश भेजी गई रकम को ज्यादा समय के लिए रोकना मुश्किल हो गया है।
अब इस्तेमाल कर रहे यह ट्रिक
ऐसे में अब लोग विदेश भेजे जाने वाली इस रकम का इस्तेमाल नाबालिगों के नाम से प्रॉपर्टी खरीदने में कर रहे हैं। CNK & Associates के टैक्स पार्टनर गौतम नायक के मुताबिक भारत में माता-पिता से मिले गिफ्ट का इस्तेमाल करके LRS के तहत नाबालिग की ओर से विदेश में धन भेजा जा सकता है। इसके अलावा, माता-पिता द्वारा बच्चों को दिए गए गिफ्ट पर भारत में कोई टैक्स नहीं लगता।
इसे ऐसे समझें
DM हरीश एंड कंपनी के एडवोकेट और पार्टनर अनिल हरीश बताते हैं कि अगर कोई दंपत्ति और उनके दो नाबालिग बच्चे दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए धन भेजते हैं तो प्रॉपर्टी नाबालिगों सहित सभी चार नामों पर होनी चाहिए। दुबई के रियल एस्टेट विशेषज्ञ बताते हैं कि नाबालिग पैरेंट्स या ट्रस्टी के माध्यम से संपत्ति का स्वामित्व रख सकते हैं। हालांकि इस संपत्ति का खुलासा इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में जरूर करना जरूरी है। ऐसा न करने पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
…लेकिन आईटीआर फाइल करने में भी हैं जटिलताएं
विदेश में नाबालिग के नाम प्रॉपर्टी होने और उस पर टैक्स लगने के मामले में कई जटिलताएं हैं। रश्मिन संघवी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रुत्विक संघवी अगर किसी शख्स को विदेशी संपत्ति से आय हो रही है (मान लीजिए किराये की आय) तो उस आय को माता-पिता के साथ जोड़ दिया जाता है। किसी विदेशी संपत्ति के 'लाभार्थी' को, जहां आय किसी अन्य व्यक्ति के साथ जोड़ी जाती है, आईटीआर करने की आवश्यकता नहीं होती है। धारा 139(1) के पांचवें प्रावधान में इसका जिक्र है।
हालांकि इसमें कई जटिलताएं हैं। संघवी के अनुसार अगर कोई नाबालिग दुबई की संपत्ति का सह-मालिक (को-ऑनर) है, तो वह केवल लाभार्थी नहीं है। जबकि आयकर कानून इनकम को जोड़ने का प्रावधान करता है। हालांकि वे डिस्क्लोजर उद्देश्यों के लिए संपत्तियों को जोड़ने का प्रावधान नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला और भी जटिल हो जाता है क्योंकि टैक्स फाइलिंग प्लेटफॉर्म नाबालिग को रिटर्न दाखिल करने की अनुमति नहीं देता है, जब तक कि उसने अपने प्रयासों (जैसे, बाल कलाकार के रूप में) से आय अर्जित न की हो।
नायक बताते हैं कि नाबालिग का टैक्स रिटर्न अभिभावक के रूप में माता-पिता द्वारा दाखिल किया जाना चाहिए। उन्हें नाबालिग के खाते के माध्यम से आयकर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। ऐसे रजिस्ट्रेशन की अनुमति तब तक नहीं दी जाती जब तक कि नाबालिग खुद की आय होने का सर्टिफिकेट ऑनलाइन दाखिल न करे। ऐसे में यहां मामला काफी पेंचीदा हो जाता है।