थम गये सुर छत्तीसगढ़ी गायिका लता खापर्डे के
राजनांदगांव
पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही छत्तीसगढ की प्रसिद्ध लोक गायिका लता खापर्डे का गुरुवार की सुबह दिल का दौरा पड?े से निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आज ही कर दिया। उनके अंतिम संस्कार में फिल्म व संस्कृति से जुडे लोग शामिल हुए।
लता खापर्डे ने अपने गायिकी से छत्तीसगढ़ की संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई थी। देश-विदेश में उन्होंने कई कार्यक्रम किए। उन्होंने मशहूर बॉलीवुड कलाकार आमिर खान के पीपली लाइव फिल्म में भी सह कलाकार की भूमिका अदा की थी। साथ ही उन्होंने हबीब तनवीर के थियेटर से जुडक? कई नाटकों में बेहतरीन अभिनय किया था। लता खापर्डे बचपन से ही लोक कला से जुड़ी रही और 6 साल की उम्र में उन्होंने लोक कला के क्षेत्र में कदम रखा था। वहीं दूसरी ओर लंबे समय तक वह गोदना सांस्कृतिक मंच से भी जुड़ी रही। उन्होंने निधन से दो दिन पहले ही कुछ गानों की रिकार्डिंग की थी। आज सुबह अचानक ही उन्हें हार्ट अटैक आ गया और उनकी घर पर ही मौत हो गई। इस सूचना जैसे ही गांव के लोगों को हुआ पूरा गांव शोक में डूब गया।
मुख्यमंत्री ने लोक गायिका लता खापर्डे के निधन पर किया गहरा दुख प्रकट
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोक गायिका सुश्री लता खापर्डे के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि लता जी ने छत्तीसगढ़ी बोली और लोक संगीत के उत्थान के लिए जो किया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
संस्कृति मंत्री ने किया गहरा दुख: व्यक्त
खाद्य और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोक कलाकार लता खापर्डे के निधन पर गहरा दुख: व्यक्त किया है। भगत ने मृतक के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
संस्कृति मंत्री भगत ने कहा कि लता खापर्डे ने 6-7 वर्ष के उम्र से ही रामचंद्र देवमुख के चन्दैनी गोंदा से बाल कलाकार के रूप में अपने जीवन के कैरियर की शुरूआत की थीं। इसके बाद वे खुमान लाल साव जी के चन्दैनी गोंदा में गायन और अभिनय किया। उन्होंने हबीब तनवीर जी के नया थियेटर के माध्यम से जर्मनी और रूस में छत्तीसगढ़ लोक कला को पहुंचाने का कार्य किया। फिल्म पीपली लाईव में उन्होंने अपने सशक्त अभिनय का लोहा मनवाया। लता खापर्डे छत्तीसगढ़ी गीतों की सुप्रसिद्ध गायिका रही हैं और गोदना सांस्कृतिक मंच से जुड़ी रहीं।