November 24, 2024

छत्तीसगढ़-सुकमा में पुलिस ने छेड़ा अभियान, नक्सली विरोध और लोकतंत्र का महत्त्व बता रही नाट्य मंडली

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सुकमा.

सुकमा जिले में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के द्वारा युद्ध स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, लोगों को नक्सली विचारधारा से जुड़ने से रोकने के लिए भी पुलिस ने तरकीब ढूंढ निकाली है। यह तरकीब बिल्कुल वैसे ही है जैसे नक्सलियों को उनके ही हथियार से मारा जा रहा हो। कहने का मतलब यह है कि पुलिस ग्रामीणों में नक्सली विचारधारा को खत्म करने और सरकार और लोकतंत्र के प्रति विश्वास और जागरूकता बनाए रखने के लिए जन जागरूकता नाट्य मंडली बनाकर लोगों के बीच कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

यह कार्यक्रम नक्सलियों की तर्ज पर चलाए जा रहा है, क्योंकि पिछले दो दशक से बस्तर में पर पसारते नक्सलवाद का ग्रामीणों से विश्वास का एक बड़ा कारण नक्सलियों की जन चेतना नाट्य मंडली को माना जाता है, जिसका कम लोगों में नक्सलवाद के प्रति विश्वास बनाए रखना और सरकार के प्रति आम लोगों में नकारात्मक छवि बनाना होता था और नक्सलियों की जन चेतना नाट्य मंडली अपने इस प्रयास में अक्सर कामयाब होती थी। इसी की तर्ज पर लंबे समय तक पुलिस के द्वारा इस तरह के अभियान चलाए जाते रहे, लेकिन इस अभियान को लंबे समय बाद फिर से नए स्वरूप के साथ शुरू किया गया है। थाना चिंतलनार क्षेत्रान्तर्गत ग्राम गड़गड़मेटा में पुलिस जन-जागरूक कला मंच द्वारा जागरूकता अभियान चलाया गया। पुलिस जन-जागरूक कला मंच के माध्यम से नक्सलियों के विकास विरोधी, अमानवीय, खोखली विचारधारा एवं अत्याचार के विरूद्ध शासन के जन-कल्याणकारी योजनाओं एवं नीतियों के बारे में आम जनताओं को जागरूक किया गया। इस कार्यक्रम में ग्राम गड़गड़मेंटा, मुकरम, मोरपल्ली, करकनगुड़ा, सुरपनगुड़ा, ताड़मेटला, कुमोड़तोंग, गोलागुड़ा, कोत्तागुड़ा व आस-पास के अन्य ग्रामों के ग्रामीण उपस्थित हुए। पुलिस जन-जागरूक कला मंच द्वारा लगातार अन्दरूनी ग्रामों के ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्यक्रम आयोजन किया जायेगा। उक्त मंच के जागरूकता अभियान में ग्रामीण लगातार जुड़ रहे है, तथा शासन के जन कल्याणकारी योजनाओं एवं नीतियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर रहे है। इस जागरूकता अभियान के माध्यम से ग्रामीण, नक्सलियों के विकास-विरोधी विचारधारा से दूर हो रहे है। इस जागरूकता अभियान के माध्यम से मुख्य धारा से भटके हुए युवाओं एवं अन्य ग्रामीणों को मुख्य धारा में वापस आने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।

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