सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी को देश में काम करने के लिए लाइसेंस होगा जरुरी
नई दिल्ली
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी की मनमानी पर पाबंदी के लिए सरकार नया टेलिकॉम ड्रॉफ्ट बिल लेकर आ रही है. इसको लेकर दूर संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि नया टेलीकॉम कानून इंडस्ट्री को दोबारा खड़ा करने और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप देगा.
पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि अगले डेढ़ से दो साल में सरकार डिजिटल नियामक ढांचे को पूरी तरह संसोधित करने में सक्षम होगी. जिसका उद्देश्य सामाजिक उद्देश्यों को संतुलित करना है. इसके साथ ही वैष्णव ने कहा कि अगले 25 साल समावेशी विकास की अवधि होगी और निवेश विकास का प्राथमिक उपकरण होगा. नए बिल के मुताबिक, वाट्सएप, जूम और गूगल डुओ जैसे ओटीटी जो कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाएं प्रदान करते हैं, उन्हें देश में काम करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है.
नए कानून में ओटीटी भी शामिल
इस बिल में दूरसंचार सेवा के हिस्से के रूप में ओटीटी को शामिल किया गया है. अब तक तमाम तरह के सोशल मीडिया ऐप और ओटीटी प्लेटफ्रॉम का फ्रेमवर्क में नहीं थे, जिस वजह से मनमाने कंटेंट आसानी से चलाए जा रहे थे. लेकिन अब सरकार ने इसे काबू करने की पूरी तैयारी कर ली है. सरकार ने बिल में टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की फीस और पेनल्टी माफ करने का प्रावधान प्रस्तावित किया है. मंत्रालय ने किसी दूरसंचार या इंटरनेट प्रदाता द्वारा अपना लाइसेंस सरेंडर करने की स्थिति में शुल्क वापसी के प्रावधान का भी प्रस्ताव किया है.
इन सर्विस पर कसेगी नकेल
टेलीकॉम के नए कानून के आने से कई तरह की सेवाएं कानून के दायरे में होंगी, जिसमें इंटरनेट बेस्ड कम्यूनिकेशन सर्विस, इन-फ्लाइट और मैरिटाइम कनेक्टिविटी, इंटरपर्नसल कम्युनिकेशन सर्विस, वॉइस कॉल्स, वीडियो कॉल्स सभी शामिल हैं. बता दें कि WhatsApp, Signal और कई दूसरे प्लेटफॉर्म ओवर द टॉपर सर्विस के अंदर ही आते हैं.