आखिर कहां बन रही है समुद्र के नीचे 18 किमी लंबी सुरंग, 100 KMPH की रफ्तार से गुजरेंगी कारें
नई दिल्ली
यूरोप में समुद्र के नीचे रेल और गाडि़यों के गुजरने के लिए सबसे बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इसका नाम फेमार्नबेल्ट टनल है जो डेनमार्क और जर्मनी को आपस में जोड़ देगी। इस टनल के जरिए सेंट्रल यूरोप ओर स्कैंडिनेविया के बीच दूरी कम हो जाएगी। ये सुरंग करीब 18 किमी लंबी होगी। इसके पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद जर्मनी के पुटगार्डेन से स्वीडन के रोबीहान के बीच ट्रेन का सफर महज 7 मिनट का रह जाएगा। वहीं कार से ये दूरी महज 10 मिनट में पूरी की जा सकेगी। मौजूदा समय में इन टनल की गैरमौजूदगी में ये सफर करीब 45 मिनट का है। इस परियोजना से न केवल जर्मनी और स्वीडन के बीच की दूरी कम होगी बल्कि ये यात्रा को और आसान बना देगी। ये पर्यावरण के अनुकूल होगी।
घट जाएगी दूरी
कोपेनहेगन और हैंबर्ग के बीच की जो दूरी अभी 5 घंटों में पूरी होती है वो इसके जरिए ट्रेन से केवल ढाई घंटे में पूरी की जा सकेगी। इस सुरंग में एक तरफ इलेक्ट्रिक ट्रेन के लिए रास्ता होगा तो दूसरी तरफ से गाडि़यों के गुजरने की सड़क बनाई जाएगी। इस मार्ग से 110किमी प्रति घंटे की रफ्तार से कार जर सकेंगी। इस पूरी परियोजना पर 52.6 अरब यूरो की लागत आएगी। इसके अलावा 7 अरब यूरो रिजर्व के तौर पर और यूरोपीय कमीशन को इसके डिजाइन आदि के लिए 6 अरब यूरो दिए गए हैं। वर्ष 2029 तक ये बनकर तैयार हो जाएगी।
आल वैदर टनल
इस सुरंग की खासियतों का यदि जिक्र करें तो ये आल वैदर टनल होगी। इसका अर्थ है कि ये साल केब 12 महीने और हर मौसम में खुली रहेगी। इसमें एक तरफ रेलमार्ग तो दूसरी तरफ आने और जाने के लिए सड़क बनी होगी। इस सुरंग को बनाने का काम शुरू भी हो गया हे। इसके लिए समुद्र में खुदाई का काम शुरू कर दिया गया है। ये सुरंग अलग-अलग पार्ट में बनाई जागी। खुदाई होने के बाद इन पार्ट्स को उस जगह पर ले जाकर जोड़ा जाएगा। इस सुरंग पर समुद्र के दबाव का असर न हो इसके लिए एक बाहरी परत इसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी।
अलग अलग पार्ट में होगी तैयार
इस सुरंग में 79 बड़े और 10 छोटे हिस्से होंगे। इन सभी हिस्सों को फैक्ट्रियों में तैयार कर समुद्र के नीचे पहुंचाया जाएगा और फिर जोड़ा जाएगा। किसी भी आपात स्थिति के लिए इस सुरंग को तकनीक से लैस किया जाएगा। इस सुरंग में वैंटिलेशन के अलावा कम्यूनिकेशन के लिए भी हाई टेक इक्यूपमेंट्स लगाए जाएंगे। इसके अलावा लाइट्स, साइनबोर्ड और दूसरी चीजों से रास्ते की जानकारी दी जाएगी। अभी फिलहाल खुदाई का काम ही चल रहा है जो 2021 में शुरू हुआ था। इस सुरंग को बनाने में करीब 4 लाख टन सरिया, 32 लाख टन कंक्रीट, 22 लाख टन ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पहले समुद्र से करीब 15 लाख क्यूबिक मीटर रेत और इतनी की मिट्टी को बाहर निकाला जाएगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि इतनी मिट्टी या रेत से करीब 300 हेक्टेयर जमीन को भरा जा सकता है।
1300 काम करने वालों का होगा सहयोग
इसको बनाने समय पूरी सावधानी बरती जा रही है। इसके लिए जरूरी सामान को समुद्र के रास्ते ही पहुंचाया जा रहा है। शहरों में इसके लिए वर्किंग टर्मिनल बनाए गए हैं। इन रास्तों से ही बड़े बड़े पार्ट्स को उनकी जगह तक पहुंचाया जाएगा। रोबीहान के पोर्ट पर एक बड़ी बिल्डिंग बनेगी जहां से कार और ट्रेन इस सुरंग में प्रवेश करेगी। जर्मनी की तरफ भी इसी तरह का एक टर्मिनल बनाया जाएगा। जिस जगह इस सुरंग के अलग-अलग हिस्से बनाए जा रहे हैं वो फैक्ट्री करीब 150 हेक्टेयर में फैली है। डेनमार्क के पोर्ट के जरिए इन्हें जगह पर भेजा जाएगा। अभी केवल खुदाई का काम चल रहा है लेकिन जब इसका निर्माण का दूसरा चरण कंस्ट्रक्शन का शुरू होगा तो इसमें करीब 1300 लोग लगेंगे। इसके लिए भी अलग जगह तैयार की जा रही है।