निजी गोदामों में भंडारण के बाद अनाज नहीं होंगी जिम्मेदारी
भोपाल
प्रदेश में गेहूं, धान और मोटे अनाज के उपार्जन के बाद निजी गोदामों में भंडारण के बाद अब भंडार गृह संचालक उस अनाज के खराब होने और अनाज में सूखत की वजह से वजन कम होने पर होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे। भंडारगृह निगम अब केवल गोदाम के भवन ही किराए पर लेगी, अनाज के रखरखाव की जिम्मेदारी निगम खुद उठाएगा या उसके लिए अलग एजेंसी की जिम्मेदारी तय करेगा। अब इस नई योजना के जरिए ही प्रदेश के निजी गोदामों को किराए पर लिया जाएगा।
अक्सर निजी भंडारगृहों में रखे जाने वाले अनाज के रखरखाव में अनियमितता के कारण कई बार अनाज खराब हो जाता है। उसके वजन में कमी आ जाती है। मिलावट की शिकायतें भी आती है। इन सब की भरपाई निजी गोदाम संचालक को करना पड़ता है। इसके चलते निजी गोदाम संचालक सरकारी धान, अनाज रखने से पीछे हट रहे है। प्रदेश में भारनत सरकार की भंडारण नीति के अनुसार कैप में भी धान का भंडारण होता है और इसके लिए 24 रुपए प्रति मेट्रिक टन भुगतान किया जाता है। प्रदेश में धान मिलिंग की सुविधा सीमित होंने के कारण धान का भंडारण कवर्ड गोदामों में भी करना होता है। छह माह के लिए भंडारण पर सरकार को हर साल 240 करोड़ रुपए खर्च करना होता है। लंबी अवधि तक भंडारण के कारण सूखत का प्रतिशत बढ़ जाता है। इसके कारण होंने वाले नुकसान को देखते हुए निगी गोदाम संचालक धान भंडारण के प्रति उदासीन देखे जा रहे है। निजी गोदाम संचालकों को नुकसान की चिंता से मुक्त करने अब राज्य सरकार ने भंडारण के लिए नई योजना शुरु की है।