PFI पर बैन के आसार, 2017 से चल रही कवायद, जांच एजेंसियां पहली बार एकमत
भोपाल
पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध की कवायद वर्ष 2017 से चल रही है। लेकिन अभी तक उसे प्रतिबंधित नहीं कर पाने की एक बड़ी वजह एजेंसियों का एकमत होना नहीं है। इस बार विभिन्न एजेंसियां समन्वित और संयुक्त तरीके से कार्रवाई कर रही हैं, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि कोई सख्त फैसला लिया जा सकता है।
पीएफआई मध्य प्रदेश के आधे जिलों में अपना नेटवर्क फैलाने के प्लान के साथ यहां पर सक्रिय था। इसमें से आठ जिलों में उसने अपनी खासी पैठ बना ली थी, इन जिलों में हजारों लोगों को उसने जोड़ लिया था। इस तरह से वह प्रदेश के 26 जिलों में एक्टिव होना चाहता था, जिसमें मालवा-निमाड के साथ ही ग्वालियर-चंबल के जिलों पर चरमपंथी संगठन का ज्यादा फोकस था। पुलिस ने संदिग्धों का डोजियर तैयार किया गया है।
8 जिलों में बना चुके हजारों सदस्य
पीएफआई के गिरफ्तार प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरीवाला, अब्दुल जावेद और मुमताज कुरैशी और जमील शेख ने पूछताछ में बताया कि मध्य प्रदेश के 26 जिलों को नेटवर्क तेजी से बढ़ाने के लिए सिलेक्ट किया था। इन्होंने हजारों सदस्य बना लिए थे। इंदौर और उज्जैन में सबसे ज्यादा सदस्य बने। इंदौर में ही इनके 800 रजिस्टर्ड सदस्यों की सूची एटीएस के हाथ लगी है। जबकि अब तक दो हजार रजिस्टर्ड सदस्यों की जानकारी मिली है। वहीं प्रदेश में ऐसे भी सदस्य हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं, इन सदस्यों की पहचान करने में फिलहाल परेशानी आ रही है।