कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लड़ना, सरकार को बचाने के लिए सड़कों पर खून भी बहाना होगा – मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास
जयपुर
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी मंत्री लगातार कांग्रेस नेतृत्व को चेलैंज कर रहे हैं. साथ ही हाईकमान की मुश्किलें भी बढ़ा रहे हैं. अब खुलकर बयानबाजी के जरिए धमकियां भी दी जाने लगी हैं. ताजा बयान गहलोत के करीबी और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दिया है. उन्होंने कहा कि ED, CBI राजस्थान आ रही है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर लड़ना होगा. सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस का हर विधायक और कार्यकर्ता एकजुट है. हम सड़कों पर खून बहा सकते हैं.
बता दें कि जब कांग्रेस के विधायकों ने रविवार को बगावत की तो उनका नेतृत्व करने वाले नेताओं में प्रताप सिंह खाचरियावास का नाम सबसे आगे था. गहलोत खेमे के विश्वसनीय नेताओं ने कांग्रेस विधायकों को फोन कर धारीवाल के आवास पर एकत्रित किया था. उसके बाद ही विधायकों के इस्तीफे देने पर सहमति बनी थी और बस से सभी विधायक स्पीकर के आवास पर पहुंचे थे. बागी विधायकों की बस के पीछे शांतिलाल धारीवाल कार लेकर पहुंचे थे. इन बागी विधायकों के लिए धारीवाल के घर नाश्ता और स्पीकर के घर डिनर का इंतजाम किया गया था.
बागी विधायक स्पीकर के घर इस्तीफे लेकर पहुंचे थे
गहलोत खेमे के बागी विधायकों ने पर्यवेक्षकों की बात को भी अनसुना कर दिया था. बताते हैं कि जब दोनों पर्यवेक्षक सीएम आवास पर विधायक दल की बैठक लेने पहुंचे थे तो उन्हें विधायकों के इस्तीफे के बारे में जानकारी मिली. इस पर पीसीसी चीफ गोविंद डोटेसरा को धारीवाल के घर भेजा गया और बात करने की पहल की गई, लेकिन बागी विधायकों ने किसी की नहीं सुनी और इस्तीफे लेकर सीधे स्पीकर के पास पहुंच गए.
पर्यवेक्षकों को दिल्ली तलब किया गया
जबकि पर्यवेक्षक अजय माकन का कहना था कि सीएम फेस का नाम फाइनल ही नहीं हुआ है. विधायकों के मशविरे के बाद ही कोई नाम फाइनल होगा. बिना बात और चर्चा किए विधायकों का इस तरह व्यवहार करना गलत है. बताया जा रहा है कि पार्टी ने भी इसे अनुशासनहीनता माना है. इसके साथ ही दोनों पर्यवेक्षकों को पहले रात में ही विधायकों से बात करने का निर्देश दिया था. मगर, विधायकों के वापस घर चले जाने से हाईकमान ने पर्यवेक्षकों को सोमवार को दिल्ली तलब कर लिया.
गहलोत ने भी हाथ खड़े कर दिए थे
बताते हैं कि जब विधायकों के बागी होने की खबर कांग्रेस हाईकमान को मिली तो पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फोन किया और घटनाक्रम के बारे में जानकारी ली. बताते हैं कि गहलोत ने हाथ खड़े कर दिए और कह दिया कि मेरे बस में कुछ नहीं हैं. ये बात हाईकमान को ठीक नहीं लगी और इसका साइड इफेक्ट आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है.
गहलोत समर्थकों ने सीनियर लीडरशिप की परेशानी बढ़ाई
यही वजह है कि पार्टी के सीनियर नेता भी अब अध्यक्ष पद के चुनाव में गहलोत के समर्थन में नहीं देखे जा रहे हैं. कांग्रेस के सीनियर नेताओं का कहना है कि 'वह (गहलोत) कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हैं. अन्य नेता भी बाहर होंगे, जो 30 सितंबर से पहले नामांकन दाखिल करेंगे. अब मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल अध्यक्ष पद की रेस में चल रहे हैं. सीडब्ल्यूसी सदस्य और पार्टी के एक नेता ने ये भी कहा कि गहलोत ने जिस तरह का व्यवहार किया वह पार्टी नेतृत्व के साथ अच्छा नहीं रहा. सीनियर लीडरशिप की परेशानी बढ़ाई है.
बागी विधायकों ने तीन शर्तें रखी हैं हाईकमान के सामने
गहलोत के करीबियों ने दावा किया कि 90 से ज्यादा विधायक स्पीकर जोशी के घर गए, लेकिन स्पष्ट संख्या की पुष्टि नहीं की जा सकी. 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 विधायक हैं. गहलोत के करीबी विधायकों ने हाईकमान के सामने तीन शर्तें रखी हैं. पहली- अगले सीएम पर फैसला कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव बाद लिया जाए. दूसरा- नए सीएम को चुनने में गहलोत की पसंद को प्राथमिकता दी जाए. तीसरा- 2020 में बगावत करने वाले पायलट गुट के समर्थकों को सीएम फेस के लिए नहीं चुना जाना चाहिए.