प्रदेश में सड़कों के रेस्टोरेशन के लिये गंभीरता से करें कार्य – पंचायत मंत्री सिसोदिया
भोपाल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने कहा है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से गाँव-गाँव तक उत्तम गुणवत्ता की सड़कों का निर्माण हुआ है। इस वर्ष अधिक वर्षा होने से बड़ी संख्या में सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनके रेस्टोरेशन (पनरूद्धार) का कार्य पूरी गंभीरता के साथ किया जाए। कार्य गुणवत्तापूर्ण हों एवं समय-सीमा में पूरा किया जाए।
मंत्री सिसोदिया आज मंत्रालय में मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की बैठक ली।
मंत्री सिसोदिया ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के प्रमुख अभियंता बी.एस. चंदेल को निर्देश दिये कि विभागीय अमला अपने क्षेत्रों का निरंतर भ्रमण कर सड़कों का गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करे। साथ ही स्वयं भी अपने निरीक्षण बढाएँ। उन्होंने निर्देश दिये कि विभाग में रिक्त पदों की पूर्ति का कार्य प्राथमिकता से किया जाए।
प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव ने निर्देश दिये कि सड़कों की मरम्मत एवं रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए। रायसेन सहित जिन जिलों की सड़कें अधिक खराब हुई हैं, वहाँ तत्परता से कार्य किया जाए। सड़कों के संधारण के लिये प्राथमिकता-प्रणाली पर कार्य करें। जिन जिलों में धान की खेती होती है, वहाँ सड़कें अधिक खराब होती हैं, अत: वहाँ विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा सड़कों के गुणवत्तापूर्ण कार्य के लिये श्रेष्ठ प्रणालियाँ अपनाई गई हैं। मार्गों के ऑनलाइन निरीक्षण, मूल्यांकन, भुगतान के लिये ई-मार्ग सॉफ्टवेयर, निविदाओं की पारदर्शी प्रक्रिया के लिये ई-टेंडर प्रणाली, निर्माण कार्यों के निरीक्षण के लिये जीओरीच सॉफ्टवेयर, पुलों के गुणवत्तापूर्ण कार्य के लिये ब्रिज सैल एवं ब्रिज विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया है।
बताया गया कि प्रदेश में वेस्ट प्लास्टिक से सड़क निर्माण का भी उल्लेखनीय कार्य हुआ है। आईआरसी मापदंडों के अनुसार प्रदेश में 8 हजार 165 किलोमीटर सड़कें, 4 हजार मीट्रिक टन वेस्ट प्लासटिक का उपयोग कर बनाई गई हैं। प्रदेश में 5 जिलों की 19 ऑफ कैरिज-वे सड़कों के संधारण का कार्य प्रायोगिक रूप से स्व-सहायता समूहों को सौंपा गया है। जिलों में रोड सेफ्टी सैल का गठन कर रोड सेफ्टी अधिकारी बनाये गये हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क मार्गों की पूर्णता, ग्रीन टेक्नोलॉजी का उपयोग, गुणवत्ता, उत्कृष्ट संधारण के लिये 5 वर्षों में प्रदेश को भारत सरकार से 943 करोड़ रूपये की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई है।