ऑनलाइन बाजार खा रहा लोकल रोजगार, 82 दवा दुकानों का शटर गिरा, मालिक ने बिजनेस बदला, स्टाफ की नौकरी गई
कानपुर
ऑनलाइन दवा कारोबार ने रिटेल वाले व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। कोरोना काल के बाद दवा कारोबार में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। यही वजह है कि सात महीने के भीतर 82 रिटेल दवा कारोबारियों ने लाइसेंस सरेंडर कर कारोबार समेट लिया। इनमें 29 पुराने कारोबारी भी हैं जिन्होंने दूसरे व्यापार में हाथ आजमाने की शुरुआत कर दी है। उनके मुताबिक अब यह कारोबार रास नहीं आ रहा है।
ड्रग विभाग की ओर से पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है जिसमें कारोबार की मौजूदा स्थिति का ब्योरा दर्ज किया गया है। ऐसे में स्पष्ट है कि इस कारोबार में अब बड़े खिलाड़ी ही बचने की तस्वीर सामने आ रही है। इन व्यापारियों ने इसके पीछे डॉक्टरों की क्लीनिकों में खुले मेडिकल स्टोरों के साथ ऑनलाइन दवा कारोबार को जिम्मेदार ठहराया है। सात महीने में ऑनलाइन दवा कारोबार का शेयर 20 फीसदी पार कर गया है। पुराने कारोबारियों ने एक्सपायरी के नाम पर घाटा होने की बात कही है, इसलिए उनकी मांग है कि इसे लेकर दवा कम्पनियों को नीति बनानी होगी।
औषधि निरीक्षक संदेश मौर्या ने बताया कि हर महीने दस दवा कारोबारी लाइसेंस सरेण्डर कर रहे हैं। अब तो हर महीने इसका ग्राफ बढ़ रहा है। फुटकर दवा व्यापार मंडल के महासचिव प्रवीण बाजपेई का कहना है कि कोरोना काल के समय दवा के साथ अन्य सामान की बिक्री की जाती रही है पर उसकी बिक्री में गिरावट आने से छोटे कारोबारी छोड़ रहे हैं।