November 15, 2024

प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस पर प्रदेश के 2 जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालयों का वर्चुअली लोकार्पण करेंगे

0

राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 नवम्बर को बिहार के जमुई में राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री मोदी कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के 2 जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालयों का वर्चुअली लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी छिंदवाड़ा के बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय एवं जबलपुर के राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2016 को देश के विभिन्न प्रदेशों में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित संग्रहालय के निर्माण की घोषणा की गई थी।

बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय, छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा शहर में स्थित बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय भवन का निर्माण 40 करोड़ 69 लाख रूपये की लागत से लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया है। यहां क्यूरेशन का कार्य जनजातीय कार्य विभाग के अधीन वन्या संस्थान द्वारा किया गया है। इसका निर्माण पुराने जनजातीय संग्रहालय की उपलब्ध भूमि पर ही किया गया है। यह स्थल पेंच-पचमढ़ी मार्ग पर स्थित है। संग्रहालय के आस-पास कई दर्शनीय तथा जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित महत्वपूर्ण स्थल भी हैं।

नवीन जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय भवन में 6 गैलरी, एक कार्यशाला कक्ष तथा एक लाइब्रेरी के अलावा कार्यालय के लिये समुचित स्थान भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त 800 दर्शकों की क्षमता वाले ओपन एयर थिएटर, शिल्प बाजार (शिल्पग्राम) एवं ट्राइबल कैफेटेरिया का निर्माण भी यहां किया गया है। इसी परिसर में स्थित पुराने जनजातीय संग्रहालय का नवीनीकरण भी किया गया है, जिसमें जनजातीय संस्कृति से संबंधित विभिन्न प्रादर्श रखे हुए हैं।

नवीन जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय में प्रदेश के 9 मुख्य जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम तथा 16 जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का वर्णन एवं जीवंत चित्रण किया गया है। प्रथम गैलरी रानी दुर्गावती को समर्पित की गई है, जिसमें रानी दुर्गावती के जीवन, उनके शासन और उनके बाहरी आक्रमणकारियों से संघर्ष को प्रदर्शित किया गया है। ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेज सरकार द्वारा गोंड राज्यों को अपने अधीन लेने के खिलाफ गोंड राजाओं द्वारा किये गये संघर्ष का चित्रण गैलरी-2 में किया गया है।

ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1927 में इंडियन फारेस्ट एक्ट लागू किया गया था, जिसके विरोध में जनजाति समाज द्वारा किये गये संघर्ष का चित्रण गैलरी-3 में "जंगल सत्याग्रह" के रूप में प्रदर्शित किया गया है। चौथी गैलरी में भील-भिलाला जनजाति, जो गोरिल्ला युद्ध में बेहद पारंगत थी उनका ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध किया गया संघर्ष चित्रित किया गया है। इस गैलरी में भीमा नायक, खाज्या नायक और टंट्या भील जैसे वीरों का संघर्ष चित्रित है। गैलरी-5 एवं 6 समय-समय पर पेंटिंग एवं फोटो एग्जीबिशन के लिए आरक्षित की गई हैं।

राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय, जबलपुर

अद्वितीय वीरता और अदम्य साहस के प्रतीक राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के सम्मान में राज्य सरकार और केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से वर्ष 2021 में जबलपुर में संग्रहालय का निर्माण किया गया। इसका नामकरण राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय किया गया है। एक एकड भूमि पर निर्मित इस संग्रहालय में 14 करोड़ 26 लाख रूपये की लागत से भारतीय सांस्कृतिक निधि (इनटेक, नई दिल्ली) द्वारा संग्रहालय भवन का जीर्णोद्वार एवं क्यूरेशन का कार्य किया गया है। यह संग्रहालय परिसर ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यहीं पर राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को उनके बलिदान से चार दिन पहले कैद करके रखा गया था। इस ऐतिहासिक महत्व की इमारत को पारम्परिक संरक्षण विधि से उसके मूल स्वरूप में पुन: र्निमित किया गया है, ताकि राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान का प्रतीक यह स्थल भावी पीढियों के लिए प्रेरणा और गर्व का स्थायी स्रोत बना रहे।

संग्रहालय की पहली दीर्घा में गोंड जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित किया गया है। दूसरी दीर्घा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले मध्यप्रदेश के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को समर्पित है। तीसरी दीर्घा को राजा शंकरशाह के दरबार हाल के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसमें राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान की कहानी को फिल्म के जरिये प्रदर्शित किया गया है। राजा एवं कुंवर के बलिदान के बाद उनकी रानियों के एवं 52वीं रेजीमेंट के विद्रोह को अगली गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। अंतिम गैलरी में थ्री-डी होलोग्राम के माध्यम से राजा एवं कुंवर को श्रृद्धांजलि दी गयी है। जिस परिसर में राजा एवं कुंवर को कैद करके रखा गया था, उस जेल भवन में उनकी प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। जनजातीय समुदाय के लोग इस स्थल को पवित्र मानते हैं और नियमित रूप से यहां श्रृद्धांजलि अर्पित करने आते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *