गुजरात के केवड़िया कैक्टस गार्डन की तर्ज पर रतलाम में मध्यप्रदेश का पहला कैक्टस गार्डन बनेगा
रतलाम
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में वन विभाग एक नया आयाम स्थापित कर रहा है। सैलाना वन क्षेत्र में प्रदेश का पहला और एकमात्र कैक्टस गार्डन तैयार किया जा रहा है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा बल्कि शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए भी एक ज्ञानवर्धक केंद्र साबित होगा।
एशिया का सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन भी रतलाम जिले के सैलाना में बना हुआ है। लेकिन मध्य प्रदेश में वन विभाग का यह पहला कैक्टस गार्डन बन रहा है जिसमें 100 से ज्यादा प्रजातियां के कैक्टस पौधे लगाए जाएंगे इसके साथ ही यहां पर गार्डन और अन्य सुविधाएं भी मिलेगी।
100 से अधिक प्रजातियों के कैक्टस पौधे लगाए जाएंगे।
वन विभाग की योजना के तहत इस गार्डन में 100 से ज्यादा प्रजातियों के कैक्टस का रोपण किया जाएगा। कैक्टस के पौधे मध्य प्रदेश सहित गुजरात से भी लाए जाएंगे। डीएफओ एन. के. दोहरे ने बताया कि यह परियोजना कैक्टस जैसे विशेष पौधों के संरक्षण के साथ-साथ उनके वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भी अत्यंत उपयोगी होगी।
आखिर कैसे हुआ चयन
रतलाम जिले में सैलाना वन परिक्षेत्र 10 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। वन विभाग द्वारा कैक्टस गार्डन का तीन माह पूर्व प्रपोजल तैयार किया। शासन स्तर पर पहले प्रपोजल भोपाल भेजा। वहां से केंद्र सरकार के पास पहुंचा। पीएम नरेंद्र मोदी की ‘सेंट्रल ग्रीन इंडिया मिशन योजना’ में इस प्रपोजल को शामिल किया।
केंद्र से पूरे देश में 10 से 15 नगर वाटिका (गार्डन), नगर वन व स्माल नगर वाटिका को स्वीकृत किया। स्माल नगर वाटिका में प्रदेश में मात्र रतलाम के सैलाना वन परिक्षेत्र का चयन किया। इसके बाद से वन परिक्षेत्र में कैक्टस गार्डन के लिए कार्य शुरू हो चुका है। वन परिक्षेत्र की सफाई की जा रही है। जिस जगह गार्डन बनेगा उस जगह को समतल कर गड्डे खोदने का काम किया जा रहा है।
कैक्टस ही नहीं बहुत कुछ देखने को मिलेगा
अगर आप सोच रहे है कि सैलाना के वन परिक्षेत्र में केवल कैक्टस गार्डन ही देखने को मिलेगा। तो ऐसा नहीं है, कैक्टस गार्डन के साथ ही वन परिक्षेत्र में ऑक्सीजन पार्क, बटरफ्लाए पार्क, फ्लावर पार्क, किड्स पार्क झूलों के साथ यहां भ्रमण के लिए एक स्थान में सब कुछ आपको मिलेगा। इसके साथ ही नाम राशि अनुसार राशि वन व नौ ग्रह के नाम से नक्षत्र वन भी तैयार किया जाएगा। जिसमें नाम व नक्षत्र के अनुसार पौधे लगाए जाएंगे।
स्टेच्यू पर दिखेगा मेडिसनल गार्डन
पीएम नरेंद्र मोदी के सेंट्रल ग्रीन इंडिया मिशन योजना के तहत मेडिसनल गार्डन (औषध मानव) का ह्यूमन स्ट्रेक्चर खड़ा किया जाएगा। इस स्ट्रेक्टर पर मेडिसीन लगाई जाएगी। शरीर से जुड़ी बीमारी के लिए कौन सी दवा जरुरी है वह इस मेडिसीन ह्यूमन स्ट्रेक्चर के माध्यम से पता चलेगा।
यह भी होगा
आयुर्वेदिक त्रिफला वन के साथ टीग सागवान (सागौन) वन भी बनेगा। इसमें सेल्फी पाइंट बनाया जाएगा।
40 लाख का प्रोजेक्ट, एक साल में होगा तैयार
डीएफओ नरेश कुमार दोहरे ने बताया कैक्टस गार्डन समेत अन्य सुविधाओं को विकसीत करने के लिए केंद्र सरकार से राशि दी जाएगी। पूरा प्रोजेक्ट 40 लाख रुपए का है। पहले फेस में वन विभाग को 27.50 लाख राशि मिल चुकी है। हमने काम भी शुरू कर दिया है।
इन जगहों से लाएंगे पौधे
कैक्टस गार्डन के लिए गुजरात, भोपाल व इंदौर से कैक्टस के पौधे लाए जाएंगे। जिस जगह गार्डन बनेगा उस वन परिक्षेत्र में सैलाना के कैक्टस गार्डन से पौधे लाकर लगा रखे है। बस इस वन परिक्षेत्र को संवारने की जरूरत है।
पौधों पर लगेंगे क्यूआर कोड
कैक्टस गार्डन में लगाए जाने वालो पौधों की जानकारी के लिए तकनीकी का भी सहारा लिया जाएगा। प्रत्येक पौधों के आगे उनके नाम व प्रजाति के बारे में लिखा जाएगा। इसके साथ पौधों के आगे क्यूआर कोड भी लगाए जाएंगे। जिससे गार्डन में आने वालों को उस पौधों की जानकारी सरलता से मिल जाए। क्यूआर कोड को स्कैन करते ही पौधों की सारी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएगी।
डीएफओ नरेश कुमार दोहरे के अनुसार गार्डन के विकसित होने के बाद सैलाना और रतलाम क्षेत्र में पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह गार्डन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। साथ ही वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए भी अत्यधिक उपयोगी साबित होगा।
सैलाना में पहले से है एक गार्डन
सैलाना में एशिया का पहला कैक्टस गार्डन है। इस गार्डन को सैलाना के महाराजा ने अपनी निजी जगह पर सालों पहले लगाया था। छोटे से लेकर बड़े कैक्टस के पौधों कई प्रजातियों के यहां पर लगे हुए है। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में रतलाम जिले के अलावा अन्य राज्यों से भी पर्यटक पहुंचते है।
पर्यटन के रूप में जाना जाता है सैलाना
रतलाम से सैलाना करीब 18 किमी दूर रतलाम-बांसवाड़ा मार्ग पर स्थित है। सैलाना पर्यटन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां पर पहाड़ियों के बीच शिवगढ़ मार्ग पर कल्याण केदारेश्वर तो बांसवाड़ा रोड पर भी पहाड़ों के अंदर भगवान भोलेनाथ विराजित है। बारिश व सावन माह में हजारों की संख्या में लोग इन दोनों स्थानों पर पहुंचते है। बारिश में बहते हुए झरने व चारों तरफ हरियाली आकर्षण का केंद्र रहती है। सैलाना का वन परिक्षेत्र भी रतलाम से जाते समय सैलाना में इंटर करते ही मुख्य रोड पर है।
सैलाना की और पहचान बढ़ेगी
सैलाना के पार्षद ईश्वर डिंडोर का कहना है कि कैक्टस का नया गार्डन बनने से सैलाना की और पहचान बढ़ेगी। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आएंगे। कमलेश राठौर ने बताया सैलाना में कैक्टस गार्डन बनने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। इससे यहां के लोगों के व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी।
10 हेक्टेयर क्षेत्र में बॉटनिकल गार्डन का विस्तार
कैक्टस गार्डन सैलाना वन क्षेत्र के 10 हेक्टेयर एरिया में विकसित किया जा रहा है। इस बॉटनिकल गार्डन में 150 प्रकार के वृक्ष लगाए जाएंगे, जिनमें से कुछ दुर्लभ और विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियां भी शामिल होंगी।
तकनीकी नवाचार के माध्यम से गार्डन में लगाए गए वृक्षों के बारे में जानकारी प्राप्त करना भी सरल बनाया गया है। हर वृक्ष पर एक क्यूआर कोड लगाया जाएगा, जिसे स्कैन करने पर उस वृक्ष की विस्तृत जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगी।
कैक्टस गार्डन के विकास पर लगभग 50 लाख रुपये का खर्च अनुमानित है, और इसे 6 महीनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। गार्डन के विकसित होने के बाद यह सैलाना और रतलाम क्षेत्र में पर्यावरण पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
यह गार्डन न केवल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए भी अत्यधिक उपयोगी साबित होगा। यहाँ आने वाले लोग विभिन्न कैक्टस प्रजातियों और वृक्षों से जुड़ी जानकारियाँ प्राप्त कर सकेंगे और प्रकृति के साथ जुड़ने का अनुभव कर पाएंगे।
रतलाम के सैलाना में विकसित हो रहा यह कैक्टस गार्डन वन्यजीवन संरक्षण, शिक्षा और पर्यावरण पर्यटन का एक बेहतरीन उदाहरण बनेगा। प्राकृतिक सुंदरता के साथ तकनीक के मेल से यह गार्डन पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक विशेष आकर्षण साबित होगा और वन क्षेत्र के विकास में नई दिशा प्रदान करेगा।