November 17, 2024

कॉलेज के सामान्य प्रसव के दौरान सर्जिकल चीरा के घावों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का सफल परीक्षण किया

0

भोपाल
प्राय: छोटी सी सर्जरी के बाद भी एलोपैथी डॉक्टर कम से कम एक सप्ताह के लिए हाई एंटीबायोटिक्स देते हैं, जिससे घावों में संक्रमण का खतरा नहीं रहे। इसके विपरीत भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा सरकारी आयुर्वेद कॉलेज में हुए एक शोध ने प्रमाणित कर दिया है कि कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को यदि निर्धारित मात्रा और दिन तक दिया जाए तो संक्रमण का खतरा नहीं रहता। कॉलेज के गायनी विभाग ने एपिसियोटामी (सामान्य प्रसव के दौरान सर्जिकल चीरा) के घावों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का सफल परीक्षण किया है। शोध में निंबादी वटी और शतधौत घृत के साथ-साथ नीम क्वाथ (नीम का काढ़ा) का भी उपयोग किया गया।
 
महिलाओं को सात दिन तक दी गईं दवाएं
ये दवाएं सात दिन तक दी गईं। यहां की स्त्री रोग और प्रसूति तंत्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. बासंती गुरु के मार्गदर्शन में एमडी की छात्रा डॉ. सोनल रामटेके ने यह शोध किया है। शीघ्र ही यह शोध किसी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित होने की संभावना है।
 
अध्ययन में 10 प्रसूताओं पर मात्र आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग किया गया, जिनमें संक्रमण और अन्य जटिलताओं का कोई लक्षण नहीं दिखा। निंबादी वटी में मुख्य रूप से नीम, आंवला और हल्दी जैसी औषधियों का उपयोग किया गया है। नीम अपने एंटीबैक्टीरियल गुणों के लिए जाना जाता है। घाव को धोने के लिए नीम क्वाथ का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो गया। डॉ. बासंती ने बताया कि एपिसियोटामी में तीन लेयर काटनी पड़ती हैं। प्रसूताओं की प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है, ऐसे में कहा जा सकता है कि संक्रमण रोकने ये दवाएं बहुत प्रभावी हैं।

आयुर्वेदिक दवाओं का दुष्प्रभाव नहीं
डॉ. बासंती गुरु ने बताया कि अभी एपिसियोटामी घाव के उपचार में आधुनिक चिकित्सा पद्धति में एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक और पाविडिन आयोडीन क्रीम का उपयोग किया जाता है। इन दवाओं के साथ अक्सर गैस्ट्रिक समस्या, एसिडिटी, कब्ज, मतली, और कुछ मामलों में एलर्जी जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसके विपरीत, इस शोध में पाया गया कि आयुर्वेदिक विधि, जिसमें निंबादी वटी, शतधौत घृत, और नीम क्वाथ का प्रयोग किया गया, से कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला।

शतधौत घृत है विशेष प्रकार का मरहम
शुद्ध घी को औषधीय तरीकों से 100 बार धोकर शतधौत घृत तैयार किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का मरहम है, जो त्वचा को गहराई से पोषण देता है और उसे ठंडक पहुंचाता है। इसने घाव को तेजी से ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पायलट शोध की सफलता को देखते हुए इसे अधिक महिलाओं पर करने की योजना बनाई गई है, जिससे बड़े स्तर पर इन दवाओं का उपयोग किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *