November 25, 2024

सीएम, सोनिया, सचिन के फेर में उलझे अशोक गहलोत, 5 महीने में ‘इस्तीफे’ की बात से पलटे

0

नई दिल्ली
राजस्थान में तीसरी बार सत्ता संभाल रहे गहलोत के लिए शायद फैसला लेना इतना मुश्किल कभी नहीं रहा होगा। आज नौबत यहां तक आ गई कि उन्हें कथित तौर पर अपने आलाकमान की नाफरमानी तक करनी पड़ी। इतना ही नहीं महज 5 महीनों में वह अपने ही 'इस्तीफा' देने के दावे से पलट गए। कांग्रेस के अहम मुद्दों में राय देने वाले गहलोत आज सफाई देते नजर आ रहे हैं। अगर पूरे सियासी घटनाक्रम को देखें, तो वह सीएम, सचिन और सोनिया के फेर में उलझते नजर आ रहे हैं। विस्तार से समझते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव
इसे शुरुआत कहा जा सकता है। 22 साल बाद होने जा रहे चुनाव के ऐलान की खबरों के साथ ही गहलोत के नाम की भी चर्चाएं तेज हुईं। अटकलें लगाई जाने लगी कि वह अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं। हाल ही में उन्होंने खुद ही पत्रकारों से बातचीत के दौरान चुनाव लड़ने की पुष्टि भी कर दी थी। हालांकि, उनका मन पार्टी के शीर्ष पद से ज्यादा राजस्थान की गद्दी पर था।

सचिन पायलट का एंगल आते ही बदले समीकरण!
अटकलें लगाई जाने लगी कि अगर गहलोत अध्यक्ष का चुनाव जीतकर पद संभालते हैं, तो सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की गद्दी मिल सकती है। हालांकि, पार्टी ने आधिकारिक तौर पर इसे लेकर कुछ नहीं कहा था। इधर, गहलोत राजस्थान छोड़ने को इच्छुक नहीं थे और कहा जाता है कि खासतौर से वह पायलट को सीएम बनाने के पक्ष में नहीं थे।

यहां बात से पलटे गहलोत
इस साल अप्रैल में भी राजस्थान कांग्रेस में नेतृत्व की अटकलें लगाई जा रही थीं। उस दौरान 71 वर्षीय नेता ने दावा किया था कि उनका इस्तीफा हमेशा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास होता है। उन्होंने कहा था, 'मेरा इस्तीफा हमेशा सोनिया गांधी के पास होता है, तो बार-बार यह पूछने का कोई मतलब नहीं है कि मुख्यमंत्री बदला जाएगा या नहीं। जब बदलने की जरूरत होगी, तो मुख्यमंत्री बदला जाएगा और किसी को भी इसके बारे में पता नहीं चलेगा।' खास बात है कि उस दौरान भी पायलट के दिल्ली दौरे के बाद सीएम बदलने की चर्चाएं तेज हुई थीं।

क्या सोनिया गांधी कर दिया अपमान?
रविवार को कांग्रेस नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर पहुंचे थे, लेकिन राज्य में सियासी हालात एकदम बदल गया। खबरें आई कि 80 से ज्यादा गहलोत समर्थक विधायक मंत्री शांतिलाल धारीवाल के आवास पर बैठक करने के बाद स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर पहुंच गए और इस्तीफे की बात की। इस दौरान दोनों पर्यवेक्षक विधायकों का मीटिंग के लिए इंतजार करते रहे और खाली हाथ दिल्ली लौट आए।

एकदम नहीं बदले हालात, संकेत दे रहे थे गहलोत?
राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। इधर, गहलोत शुरुआत से ही एक सुर लगा रहे थे कि वह चाहते हैं कि राहुल ही पार्टी अध्यक्ष का पद संभाले। हालांकि, यही बात खड़गे समेत कई दिग्गज कह रहे थे। राहुल को ही अध्यक्ष बनाने के समर्थन में प्रस्ताव पास करने वाला भी राजस्थान पहला ही राज्य बना और सीएम बार-बार वायनाड सांसद को ही कमान सौंपने की बात कहते रहे।

जब चर्चाएं तेज हुईं कि गहलोत चुनाव लड़ सकते हैं, तो उन्हें दिल्ली पहुंचकर सोनिया से मुलाकात की। साथ ही वह भारत जोड़ो यात्रा में जुटे राहुल से भी कोच्चि जाकर मिले। सीएम यही कहते रहे कि वह 'आखिरी बार' राहुल को मनाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि राहुल के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में ही वह नामांकन दाखिल करेंगे। खबरें यह भी आईं कि अगर वह अध्यक्ष बनते हैं, तो भी कुछ समय के लिए सीएम बने रहना चाहते हैं। कहा जाता रहा कि वह दो पद संभालने की इच्छा जाहिर करते रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधायकों के साथ हुई एक बैठक में भी उन्होंने कहा था, 'मैं कहीं नहीं जा रहा, चिंता मत करो।' उनके इस बयान से संकेत मिले कि वह राजस्थान नहीं छोड़ना चाहते। हालांकि, जब राहुल ने 'एक व्यक्ति एक पद' की बात को साफ कर दिया, तो कांग्रेस में स्थिति बदलती नजर आई।

अब क्या
मामले के जानकार बताते हैं कि सोमवार को गहलोत ने पर्यवेक्षक खड़गे से मिलकर रविवार रात हुए घटनाक्रम पर माफी मांगी थी। बाद में यह भी खबर आई कि उन्होंने सोनिया से फोन पर बात कर सफाई दी है। अब संभावनाएं जताई जा रही हैं कि वह बुधवार को दिल्ली पहुंचकर पार्टी प्रमुख से मिल सकते हैं। हालांकि, पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में तकनीकी आधार पर वरिष्ठ नेता को क्लीनचिट दी है और राजस्थान के तीन विधायकों को नोटिस जारी किए गए हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *