November 18, 2024

बाघ और 10 हाथियों की मौत से हुई किरकिरी के बाद अब मध्य प्रदेश में ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप चलाया जाएगा

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भोपाल
वन्य प्राणी प्रबंधन-संरक्षण में असफल रहने, बाघ और 10 हाथियों की मौत से हुई किरकिरी के बाद अब मध्य प्रदेश में ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप चलाया जाएगा। यह एक दिसंबर से अगले साल 31 जनवरी तक चलेगा। इसमें उन स्थानों पर दिन और रात में गश्त होगी, जो शिकार के मामले में संवेदनशील हैं। वन मुख्यालय से लेकर वन क्षेत्र के अधिकारी-कर्मचारी इसमें जुटेंगे।
इस ऑपरेशन के तहत गश्ती के दौरान शिकार के लिए प्रयुक्त फंदे में वन्यप्राणी फंसा हुआ पाए जाने की स्थिति में तत्काल निकटतम रेस्क्यू स्क्वाड की सहायता से वन्यप्राणी के उपचार की उचित व्यवस्था की जाएगी और अपराध प्रकरण पंजीबद्ध किया जाएगा। आरोपित का पता लगाकर तत्काल कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाएगा।
वन भूमि या वन्यप्राणी विचरित क्षेत्र से जाने वाली विद्युत लाइन के नीचे और आसपास विद्युतकर्मियों के साथ मिलकर गश्त की जाएगी। यदि किसी वन या कृषि क्षेत्र में शिकार के लिए फंदा लगा हुआ पाया जाता है तो उसे हटाया जाएगा। शिकार पर नजर रखने के लिए 15 डाग स्क्वायड दस्ते लेकर गश्त की जाएगी। मैटल डिटेक्टर उपकरण का भी उपयोग होगा।
गश्त के दौरान वन-राजस्व सीमा से लगे वन क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र की बागड, फेंसिंग में सर्चिंग की जाएगी। गश्त के दौरान संबंधित ग्राम, नगर में पूर्व में गिरफ्तार आरोपितों की जानकारी लेकर उसे वन परिक्षेत्र में की आरोपित निगरानी पंजी में भी दर्ज किया जाएगा।
शीत ऋतु में बढ़ जाती हैं शिकार की घटनाएं
शिकार की घटनाएं मुख्यत: शीत ऋतु में अधिक संख्या में घटित होती हैं। इसलिए अगले दो माह ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप चलाया जाएगा। इसके पहले वन विभाग फंदा लगाकर शिकार को लेकर प्रदेश भर में अलर्ट जारी कर चुका है। वहीं फंदा, विद्युत करंट, खटका (लेग होल्ड ट्रैप) जैसे साधनों का उपयोग कर वर्ष 2014 से 2024 तक 885 वन्यजीवों का शिकार किया गया। जिससे 311 जंगली सूअर, 116 नीलगाय, 91 तेंदुए, 77 चीतल, 48 सांभर, 36 भालू, 35 बाघ एवं 17 मोर आदि सहित अन्य वन्यप्राणियों की मृत्यु हुई है।
ये करेंगे गश्त
प्रदेश में सात टाइगर रिजर्व, 63 सामान्य वनमंडल एवं 11 परियोजना मंडल हैं। वनमंडल, टाइगर रिजर्व, वन विकास मंडल इकाई में सघन गश्त दिन व रात्रि में की जाएगी। न्यूनतम तीन दिन परिक्षेत्र अधिकारी एवं अधीनस्थ, दो दिन वनमंडल अधिकारी, उप वनमंडल अधिकारी, एक दिन क्षेत्र संचालक, मुख्य वन संरक्षक अनिवार्य रूप से गश्त करेंगे।

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