बिहार-पूर्णिया में जदयू नेता और फ्लाइंग ऑब्जर्वर की साठगांठ, SSC के 35 फर्जी परीक्षार्थी जाएंगे रिमांड पर
पूर्णिया.
पूर्णिया डिजिटल परीक्षा केंद्र में एसएससी एमटीएस परीक्षा में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला उजागर हुआ है। साइबर पुलिस ने 35 फर्जी परीक्षार्थियों और माफियाओं को गिरफ्तार किया है। अब इन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी, जिससे इस गहरी साजिश का पर्दाफाश हो सके। इस मामले में परीक्षा माफिया, राजनीतिक जुड़ाव और भ्रष्ट अधिकारियों का गठजोड़ सामने आया है।
इस फर्जीवाड़े में कटिहार के जदयू युवा जिलाध्यक्ष रोशन मंडल का नाम सामने आया है, जो पूर्णिया डिजिटल सेंटर का एक पार्टनर है। रोशन की भाभी कटिहार में जिला पार्षद हैं। मामले में एसएससी प्रयागराज के फ्लाइंग ऑब्जर्वर इजहार आलम भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि इजहार आलम, रोशन मंडल और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर परीक्षा में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर रहे थे।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
साजिशकर्ताओं ने परीक्षा में असली अभ्यर्थियों की जगह फर्जी परीक्षार्थियों को बैठाया। उन्हें परीक्षा से पहले गुलाबबाग के होटल शाइन और अन्य होटलों में ठहराया जाता था। परीक्षा के दौरान फर्जी परीक्षार्थियों को डिजिटल सेंटर में प्रवेश दिलाया जाता था। इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए सेंटर के कर्मचारी और फ्लाइंग ऑब्जर्वर पूरी तरह से संलिप्त थे।
पुलिस की जांच और बरामदगी
पुलिस ने छापामारी के दौरान परीक्षा केंद्र के पास एक किराए के कमरे से संदिग्ध सामग्री और दस्तावेज जब्त किए हैं। गिरफ्तार सात कर्मियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि फर्जीवाड़ा पहले से योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था। सेंटर मैनेजमेंट और फर्जी परीक्षार्थियों को व्यवस्थित करने के लिए लाखों रुपये लिए जाते थे।
मुख्य आरोपी और उनके ठिकाने —
0- रौशन मंडल- कटिहार युवा जदयू जिलाध्यक्ष।
0- विवेक सिंह- वैशाली के बेलसर निवासी और पूर्णिया डिजिटल सेंटर के मालिक।
0- राहुल राज- नालंदा जिले के नूरसराय निवासी और फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड।
0- अन्य आरोपी- शुभम आनंद, कृष्णा और कन्हैया की भूमिका की जांच चल रही है।
मामले की गहराई और राष्ट्रीय कनेक्शन
यह मामला अंतर्राज्यीय परीक्षा माफियाओं से जुड़ा हुआ है। साइबर डीएसपी अनुराग कुमार ने बताया कि जांच में कई राज्यों से जुड़े परीक्षा माफियाओं की भूमिका सामने आ सकती है। एसएससी प्रयागराज के समन्वयक सुरेश प्रसाद यादव ने चार से 14 नवंबर के बीच हो रही परीक्षा में फर्जीवाड़े की सूचना दी थी। इसके बाद पुलिस और साइबर टीम ने छापामारी कर इस बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। साइबर डीएसपी अनुराग कुमार ने कहा कि परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़े का खेल लंबे समय से चल रहा था। गिरफ्तार कर्मियों और माफियाओं से पूछताछ में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं। रिमांड पर लेने के बाद गहरी साजिश का खुलासा होगा।
प्रशासन और सरकार के सामने चुनौती
इस मामले ने परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फर्जीवाड़े में राजनीतिक हस्तियों और अधिकारियों की मिलीभगत से शिक्षा क्षेत्र में भरोसे को गहरी चोट पहुंची है। अब यह देखना होगा कि पुलिस जांच में और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं और दोषियों को सजा कैसे दी जाती है।