कार्ल-गुस्ताफ M4 वेपन सिस्टम अब भारत में भी बनेगा,कंपनी का बड़ा ऐलान
नई दिल्ली :
स्वीडन की बड़ी डिफेंस कंपनी साब ने ऐलान किया है कि वह भारत में वेपन सिस्टम बनाएगी। कंपनी ने मंगलवार को बताया कि वह कार्ल-गुस्ताफ M4 वेपन सिस्टम को भारत में बनाएगी। खास बात ये है कि कार्ल-गुस्ताफ पहली बार स्वीडन से बाहर किसी देश में बनेगी।
कार्ल-गुस्ताफ कंधे पर रखकर फायर करने वाला हथियार है जो 1500 मीटर तक यानी डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन को निशाना बना सकता है। 'साब' के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट गोर्गेन जोहानसन ने बताया कि भारत में इसका निर्माण 2024 से शुरू हो जाएगा।
चीन से लगे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत की तकरीबन हर फॉरवर्ड पोस्ट पर इंडियन आर्मी इसी वेपन सिस्टम के पिछले वर्जन से लैस है। जोहानसन ने कहा कि कंपनी इंडियन एयर फोर्स के लिए भी वेपन सिस्टम का प्रोडक्शन करेगी और साथ में दुनियाभर में कंपोनेंट्स भी भेजेगी।
नई कंपनी 'साब एफएफवी इंडिया' के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अभी चल रही है। जोहानसन ने बताया कि यह कंपनी भारत में नई पीढ़ी की अत्याधुनिक हथियार बनाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में कंपनी की नई फैसिलिटी पूरी तरह 'मेक इन इंडिया' की जरूरतों के अनुरूप होगी।
कार्ल गुस्ताफ एम4 वेपन सिस्टम
साब की नई कंपनी साब एफएफवी इंडिया भारत में आर्म्ड फोर्सेस के लिए लेटेस्ट रॉकेट लॉन्चर बनाएगी. साथ ही दुनिया के अन्य देशों के लिए भी कंपोनेंट सिस्टम बनाया जाएगा. भारत में बनने वाली नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्वीडन से बाहर पहला स्थान होगा जहां कार्ल-गुस्ताफ ए4 वेपन सिस्टम बनाए जाएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक साब सेना के साथ इस मसले पर बात कर रही है ताकि प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जा सके. कार्ल गुस्ताफ वेपन सिस्टम का भारत की सेना में 1976 से इस्तेमाल हो रहा है. इसके दो वेरिएंट एम2 और एम3 के लिए भारत में प्रोड्यूस लाइसेंस मिला हुआ है.
एफडीआई के जरिये निवेश
साब का कहना है कि उसका भारतीय सेना के साथ वर्षों का नाता रहा है. इसलिए यह जाहिर सी बात है कि भारत में कार्ल गुस्ताफ एम4 निर्माण की सुविधा शुरू की जाए. कंपनी ने कहा कि उसे खुशी होगी अगर भारत सरकार के लक्ष्यों के मुताबिक उसे अपना काम करने का मौका मिलेगा. भारतीय सेना को वर्ल्ड क्लास डिफेंस सिस्टम मुहैया कराने का मौका मिलेगा. भारत में नया वेंचर लगाने के लिए कंपनी 100 परसेंट एफडीआई रूट का सहारा लेगी. लेकिन भारत सरकार 100 परसेंट एफडीआई की इजाजत नहीं देगी तो कंपनी 74 परसेंट की मांग रखेगी. भारत सरकार कुछ ही मामलों में डिफेंस सेक्टर में 100 परसेंट एफडीआई की अनुमति देती है.
क्या है Carl-Gustaf M4?
स्वीडिश कंपनी साब की टैगलाइन बेहद प्रभावी है. 'वन वेपन एनी टास्क.' कार्ल-गुस्ताफ एम 4 एक रिकोलेस राइफल है. रिकोलेस राइफल ऐसे हथियारों को कहते हैं जो मैन-पोर्टेबल लॉन्चर की तरह होते हैं. यह हथियार अत्याधुनिक है और युद्ध के समय सैनिकों के लिए इसे चलाना आसान है.
कार्ल गुस्ताफ सिस्टम में ये फ़ीचर्स होते हैं शामिल
हथियार
लेंस
गोलाबारूद
ट्रेनिंग
सपोर्ट
मल्टी पर्पस सिस्टम से लैस है ये हथियार
यह डिफेंस सिस्टम बेहद सटीक तरीके से टार्गेट भेदने में सक्षम है. द कार्ल गुस्ताफ एक सैनिक के लिए एक कंप्लीट सोल्जर सिस्टम की तरह है. इससे लैस जवान दुश्मनों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. यह सैनिकों को रणनीतिक तौर पर मजबूत करने में सक्षम है.
यह सिस्टम फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी से लैस है. इसकी प्रोग्रामिंग शानदार तरीके से की जाती है. इस हथियार में एडवांस फायर कंट्रोल सिस्टम है. अगर सही तरीके से यह प्रणाली काम करे तो सैनिकों की सेफ्टी बनी रहेगी और टार्गेट को आसानी से भेदा जा सकेगा. इसके जरिए टैंक्स तक को तबाह किया जा सकता है. इस हथियार के जरिए किसी भी युद्धजन्य स्थिति से निपटा जा सकता है.
हथियारों के निर्माण पर सरकार का ध्यान
मोदी सरकार ने हाल के वर्षों में कई कदम उठाए हैं जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन सके. इसके लिए डिफेंस प्रोक्योरमेंट के लिए नई नीतियां बनाई गई हैं. पुरानी नीतियों को आसान किया गया है ताकि इस सेक्टर में तेजी से एफडीआई बढ़े और देसी कंपनियां भी निर्माण में हिस्सा ले सकें. डिफेंस सेक्टर में पहले एफडीआई 49 परसेंट होता था जिसे बढ़ाकर सरकार ने 74 परसेंट कर दिया. इसी के साथ सरकार ने 310 वेपन और सिस्टम को नोटिफाई कर दिया जिसका आयात नहीं किया जा सकता. सरकार ने स्थानीय स्तर पर बनाए जाने वाले मिलिटरी हार्डवेयर के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया है.