नंबर वन के साथ, अनुशासन की बात; गहलोत ने क्या दिए संकेत, पायलट पर छोड़ेंगे जिद?
नई दिल्ली
राजस्थान में उपजे राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार देर रात दिल्ली पहुंच गए। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवार गहलोत की आज पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हो सकती है। इससे पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए गहलोत ने राजस्थान में हुए टकराव को छोटी-मोटी घटना बताते हुए कहा कि वह सोनिया गांधी के अनुशासन में काम करेंगे। उन्होंने इशारों में यह भी कहा कि जैसा सोनिया गांधी चाहेंगी उसी मुताबिक फैसले होंगे।
एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में गहलोत ने इंदिरा गांधी से सोनिया गांधी तक का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ''पार्टी की परंपरा 50 सालों से देख रहा हूं। नंबर वन जो होता है कांग्रेस अध्यक्ष, इंदिरा जी के वक्त से देख रहा हूं, राजीव जी के वक्त से देख रहा हूं, नरसिम्हा राव या अभी सोनिया गांधी जी हैं, हमेशा कांग्रेस में इतना अनुशासन है। इसलिए आज पार्टी संकट में, अगर 44 या 55 (लोकसभा सीटों) पर आ गए तब भी देश में यदि कोई नेशनल पार्टी है तो एकमात्र कांग्रेस पार्टी है। उसकी नेता सोनिया गांधी हैं। सोनिया गांधी जी के अनुशासन में पूरे देश की कांग्रेस है।''
राजस्थान में रविवार रात विधायक दल की बैठक को लेकर हुए घटनाक्रम की ओर इशारा करते हुए गहलोत ने कहा कि छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन सब कांग्रेस अध्यक्ष के साथ हैं और उन्हीं के मुताबिक फैसले होंगे। गहलोत ने कहा, ''मीडिया में जो कुछ चल रहा है, ये घटनाएं छोटी-मोटी होती रहती हैं। मीडिया की दृष्टि में और दृष्टिकोण हो सकता है। हमारे लिहाज से हम सबके दिल के अंदर नंबर वन जो कांग्रेस अध्यक्ष होती हैं, उनके अनुशासन में हम काम करेंगे। आप देखेंके कि उसी हिसाब से आने वाले वक्त में फैसले होंगे।''
गहलोत ने इस दौरान मोदी सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि घरेलू समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ''आज देश पर जो संकट है उसे मीडिया को पहचानना चाहिए, आज लेखक, साहित्यकार, पत्रकार सब संकट में हैं। देशद्रोही के नाम से वे जेल जा रहे हैं। दो-दो साल तक जेल में पड़े रहते हैं। चिंता हमें उनकी है जिनके लिए राहुल गांधी यात्रा पर निकल पड़ा है। चाहे महंगाई हो, बेरोजगारी हो या जो ये तानाशाही प्रवृत्ति चल रही है, राहुल गांधी को इसकी चिंता है, हम सब कांग्रेसजनों को इसकी चिंता है कि देश किस दिशा में जा रहा है किसी को नहीं मालूम। हमारे लिए उससे मुकाबला करना ज्यादा जरूरी है। घर की बातें हैं, यह सब आंतरिक राजनीति में चलता रहता है। इसका हम समाधान निकाल लेंगे।''
अपने रुख में करेंगे बदलाव?
गहलोत के दिल्ली आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि सोनिया गांधी से मुलाकात में वह अपनी जिद पर कायम रहते हैं या फिर हाईकमान की मर्जी के मुताबिक पायलट को अपनी कुर्सी सौंपने को तैयार होंगे? बुधवार को गहलोत के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री दिल्ली में 102 विधायकों की भावनाएं सोनिया गांधी तक पहुंचाएंगे। उनका इशारा एक बार फिर पायलट गुट को छोड़कर उन 102 विधायकों में से किसी को सीएम बनाए जाने का था जो 2020 में बगावत के वक्त सरकार के साथ डटे रहे थे।हालांकि, आलाकमान पायलट से किए वादे के मुताबिक अब उन्हें राजस्थान में कुर्सी सौंपना चाहता है।