November 27, 2024

आगर-मालवा के कालीसिंध नदी किनारे चमत्कारी मंदिर, जहां जलता है पानी से दीया

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भारत में बहुत से प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है. जिसके चलते भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है. इन मंदिरों में घटने वाली रहस्यमयी घटनाओं की गुत्थी आज तक कोई भी नहीं सुलझा पाया है. लेकिन इन अनोखे रहस्यों के चलते ये मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है और यहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते रहते हैं. ऐसा ही एक चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर है. जहां सालों से सिर्फ पानी से ही दीपक जलाया जाता है. आपके मन में भी ये सवाल उठ रहा होगा कि यह कैसे संभव हो सकता है, लेकिन ऐसा होता है और इस चमत्कारी घटना को देखने के लिए रोजाना बहुत से भक्त इस मंदिर में आते हैं.

कहा है यह मंदिर?
यह मंदिर मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में कालीसिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से करीब 15 किमी दूर गाड़िया गांव के पास स्थित है. इस मंदिर को गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से जाना जाता है.

बताया जाता है कि इस मंदिर में सालों से एक महाज्योति जल रही है. इस यह माता के सामन जलने वाला यह दीपक बिना किसी तेल, घी या ईंधन से जल रहा है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि यह दीपक मंदिर के पास बहन वाली कालीसिंध नदी के पानी से जलता है. बताया जाता है कि इस मंदिर में रखे दीपक में जब पानी डाला जाता है, तो वह चिपचिपे तरल में बदल जाता है और दीपक जल उठता है.

माता ने दिया आदेश
कहा जाता है कि पहले इस मंदिर का दीपक बाकी मंदिरों की तरह तेल और घी से जलाया जाता है. लेकिन बार माता ने पुजारी को सपने में दर्शन दिए और नदी के पानी के दीपक जलाने का आदेश दिया. जिसके बाद पुजारी ने वैसा ही किया और एक दिन नदी का पानी दीपक में भरकर जैसे ही बाती को जलाया, तो जोत जलन लगी. कहां जाता है कि तब से ही मंदिर में पानी से दीपक जलाया जाता है. जब इस चमत्कार के बारे में लोगों को पता चला तब से बहुत से लोग रोजाना इस चमत्कार को देखने के लिए इस मंदिर में आते हैं.

बरसात में नहीं जतला दीपक
इस मंदिर में बरसात के मौसम में दीपक नहीं जलता है. दरअसल बरसात के दौरान कालीसिंध नदी का जलस्तर बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है. जिसकी वजह से यहां पूजा करना संभव नहीं होता है. इसके बाद जैसे ही मंदिर से पानी नीचे जाता है और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हौती है. तभी मंदिर में फिर से अखंड ज्योत जलाई जाती है. जोकि अगले साल वर्षाकाल तक जलती है.

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