बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर मामला अब संसद तक पहुंचा, चर्चा कराने की मांग
नई दिल्ली
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से जुड़ा मुद्दा अब संसद तक पहुंच गया है। दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की है और इसके लिए सभापति जगदीप धनखड़ को नोटिस दिया है। चड्ढा ने सदन के नियम 267 के तहत दिए अपने प्रस्ताव में शून्यकाल और प्रश्नकाल को स्थगित कर इसपर चर्चा की मांग की है। आप सांसद ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि संसद का उच्च सदन बांग्लादेश में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्णदास की गिरफ्तारी की निदा करे और वहां हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर चितन करे। हालांकि, सभापति धनखड़ ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
चड्ढा की इस मांग से पहले दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली स्थित इस्कॉन समूह के कम्यूनिकेशन डायरेक्टर वृजेंद्र नंदन दास से मुलाकात की और उनसे इस विषय पर लंबी चर्च की है। सिसोदिया ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा, "बांग्लादेश में इस्कॉन के साथ जो हो रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। इस्कॉन ने हमेशा वैश्विक स्तर पर प्रेम और शांति का संदेश दिया है और ऐसे संगठन को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जा सकता। हम ऐसे निराधार आरोपों को स्वीकार नहीं करेंगे और हम भारत सरकार से सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करते हैं।"
दरअसल, दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी चाहती है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्णदास की गिरफ्तारी के बहाने संसद से सड़क तक चर्चा-परिचर्चा कर एक तरफ खुद को हिन्दुओं का हितैषी साबित करे और दूसरी तरफ यह साबित करने की कोशिश करे कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा को बांग्लादेश के हिन्दू भाइयों से सहानुभूति नहीं है। आप का यह भीतरी दांव दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों के कारण है। अगले साल जनवरी-फरवरी में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां आप का मुकाबला भाजपा से है।
आप को इस बात की भी चिंता सता रही है कि हालिया चुनावों की तरह अगर दिल्ली में भी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों से भाजपा ने हिन्दू मतदाताओं का ध्रुवीकरण किया तो उसके लिए जीत की हैट्रिक लगा पाना मुश्किल होगा। लोकसभा चुनावों में कमतर प्रदर्शन के बाद भाजपा एक बार फिर से अपने फुल फॉर्म में है। उसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और हरियाणा विधानसभा चुनावों में अनुमान से ज्यादा और बड़ी जीत मिली है। अब भाजपा की नजर दिल्ली पर है। दिल्ली में आप की ईमानदार राजनीति के ग्राफ में गिरावट आई है क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर उप मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और पार्टी के सांसद-विधायक भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं। आप को भी लगता है कि उसकी ईमानदारी का दांव अब नहीं चलने वाला है, इसलिए बांग्लादेश में हिन्दू अत्याचार के बहाने सॉफ्ट हिन्दुत्व के एजेंडे के सहारे टीम केजरीवाल चुनावी बैतरणी पार करना चाहती है।