‘स्वच्छ भारत’ नहीं चाहता पश्चिम बंगाल? केंद्र से फंड लेने में आनाकानी, सफाई पर खुद कर रहा खर्च
नई दिल्ली
केंद्र सरकार के 'स्वच्छ भारत मिशन' को अक्टूबर में 8 साल पूरे होने जा रहे हैं। कई राज्यों में इस अभियान को लेकर जोर-शोर से काम जारी है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाला पश्चिम बंगाल इसे लेकर केंद्र से फंड लेने के मूड में नहीं है। राज्य सरकार ने अब तक भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार से फंड लेने की इच्छा नहीं जताई है। हालांकि, जानकार 'स्वच्छ भारत' को लेकर पश्चिम बंगाल के रुख को राजनीति से जोड़कर देखते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूत्र बताते हैं कि एक ओर जहां अन्य सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में प्रस्ताव भेजने के अलग-अलग चरण में हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल ने केंद्र के फंड के इस्तेमाल को लेकर कोई रुची जाहिर नहीं की है। इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम लगातार राज्य को प्रस्ताव भेजने के लिए याद दिलाते रहे हैं। लेकिन अच्छा जवाब नहीं मिला है।'
क्या है स्वच्छ भारत मिशन
इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 में हुई थी। सरकार का मकसद इसके जरिए शौचालयों के निर्माण में आर्थिक मदद मुहैया कराकर शहरी भारत को ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त बनाना था। केंद्र सरकार ने बीते साल इस अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है। खास बात है कि मंत्रालय की तरफ से 17 राज्यों के एक्शन प्लान को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। अब जानकार पश्चिम बंगाल के इस रवैये के तार राजनीति से जोड़ रहे हैं। खबर है कि राज्य के अधिकारी मिशन को लेकर होने वाली सभी बैठकों और ट्रैनिंग में शामिल होते हैं और व्हाट्सएप पर समूहों का भी हिस्सा हैं, लेकिन राज्य केंद्र से फंड लेने में ढिलाई बरत रहा है और अपने ही फंड से स्वच्छता अभियानों को मदद कर रहा है।