September 22, 2024

नक्सलियों से लोहा लेने हॉक फोर्स में ड्यूटी, भोपाल में अटैच फिर भी जोखिम भत्ता

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भोपाल
नक्सलियों से लोहा लेने के लिए बनी हॉक फोर्स में तैनाती करवा कर भोपाल में अटैच होने का मामला इन दिनों पुलिस मुख्यालय में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। दरअसल ऐसे कुछ अफसर हैं जो हॉक फोर्स में पदस्थ हैं, लेकिन नक्सलियों की धरपकड़ की जगह पर उन्हें भोपाल में ही रखा गया है। वह भी लंबे अरसे से ऐसा चल रहा है।

इसके चलते हॉक फोर्स से ही जुड़े कुछ लोगों ने इस संबंध में गृह विभाग से लेकर डीजीपी सुधीर सक्सेना तक इस संबंध में शिकायत की है। हॉर्स फोर्स पूरी तरह से अब बालाघाट में शिफ्ट हो चुका है। हॉर्क फोर्स का मूल काम हैं कि बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिलों में रहकर नक्सलियों पर नियंत्रण करना। बताया जाता है कि शिकायत में कहा गया है कि  बालाघाट में दो वर्ष पहले हेडक्वार्टर शिफ्ट होने के बाद भी कुछ अफसर भोपाल में ही रखे गए हैं। उन्हें पुलिस मुख्यालय में अटैच कर आॅफिस वर्क करवाया जा रहा है। इसके साथ उन्हें जोखिम भत्ता भी दिया जा रहा है। जबकि वे जोखिम का कोई काम कर ही नहीं हैं।  इसके चलते हार्क फोर्स के कई अन्य अफसर भी इसी तरह से अटैचमेंट के प्रयास कर रहे हैं।

बताया जाता है कि हार्क फोर्स में आमतौर पर पांच साल के लिए पोस्टिंग की जाती है, लेकिन कुछ अफसर यहां पर 12-13 साल से पदस्थ हैं और मैदान की जगह पर आॅफिस काम में लगे हुए हैं। इनमें से कुछ के कई बार तबादले भी हुए, लेकिन हर बार या तो तबादला निरस्त हो जाता है या फिर इन्हें अफसर रिलीव नहीं करते हैं।

फोर्स में 70 प्रतिशत मिलता है जोखिम भत्ता
बताया जाता है कि हॉक फोर्स में जोखिम भत्ता 70 फीसदी मिलता है। इसमें अस्सिटेंट कमांडेंट रेंक के अफसरों को 50 हजार से 63 हजार रुपए तक का जोखिम भत्ता मिलता है। जबकि डीएसपी रेंक के अफसरों का जोखिम भत्ता 50 हजार रुपए तक है। वहीं इंस्पेक्टर और उनके नीचे के अफसरों को भी 50 हजार रुपए तक का जोखिम भत्ता यहां पर मिलता है। यहां पर करीब एक हजार आरक्षक से लेकर डीएसपी तक के रेंक के अफसर पदस्थ हैं।

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