December 26, 2024

पंजाब पुलिस ने खालिस्तानी आतंकी मॉड्यूल को लेकर एक बड़ा खुलासा किया, ग्रेनेड हमलों के पीछे इसी ब्रिटिश सिख सैनिक का हाथ

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चंडीगढ़
हाल ही में पंजाब पुलिस ने खालिस्तानी आतंकी मॉड्यूल को लेकर एक बड़ा खुलासा किया। पुलिस को खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) के प्रमुख और पाकिस्तान में रह रहे रणजीत सिंह नीता द्वारा नियंत्रित आतंकी ‘मॉड्यूल’ की जांच के दौरान एक ब्रिटिश सिख सैनिक के बारे में सुराग मिला है। संदेह है कि राज्य में पुलिस थानों पर हाल ही में हुए ग्रेनेड हमलों के पीछे इसी ब्रिटिश सिख सैनिक का हाथ है। ब्रिटिश सेना के सैनिक जगजीत सिंह पर आतंकवाद में संलिप्तता के आरोपों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इस नाम का कोई व्यक्ति वर्तमान में ब्रिटिश सेना में सेवा नहीं कर रहा है। वहीं, पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने अपनी जांच का बचाव करते हुए कहा है कि यह मामला ब्रिटिश अधिकारियों के साथ "उचित चैनलों" के माध्यम से उठाया जाएगा।

पुलिस डोजियर और आतंकवादी गतिविधियों का विवरण
पंजाब पुलिस के डोजियर के अनुसार, जगजीत सिंह और उसके सहयोगी पंजाब में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए धार्मिक संप्रदायों के प्रमुखों को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे। पुलिस का कहना है कि उन्होंने युवाओं को पैसा और विदेश में पलायन का लालच देकर आतंकवादी गतिविधियों के लिए भर्ती करना शुरू किया। इस मामले में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया और जगजीत सिंह को वांटेड अपराधी घोषित किया गया। 2021 में, उसका नाम तब सामने आया जब तरनतारन जिले के सोहल गांव के रहने वाले रंजीत सिंह से दो हथगोले और दो पिस्तौल बरामद हुए। इस घटना के संबंध में अमृतसर के एसएसओसी थाने में शस्त्र अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।

ब्रिटिश मंत्रालय का जवाब और पुलिस की प्रतिक्रिया
ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “इस नाम का कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सेना में सेवा नहीं दे रहा है। भारतीय अधिकारियों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया है।” मंत्रालय के प्रवक्ता रियान शिल्लाबीर ने पंजाब पुलिस द्वारा जारी एक तस्वीर पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह तस्वीर किसी अन्य ब्रिटिश सिख सैनिक की है, जिसका नाम जगजीत सिंह से मेल नहीं खाता। इसके बावजूद, पंजाब के डीजीपी ने अपनी जांच का बचाव करते हुए कहा, “हमारी जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पूछताछ और गहन जांच से प्राप्त हुई है। इस मामले को ब्रिटिश अधिकारियों के साथ उठाया जाएगा।”

आतंकवादी हमलों और संगठन के बारे में खुलासा
पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि हाल के तीन महीनों में पंजाब में पुलिस चौकियों और अन्य स्थानों पर कई ग्रेनेड और आईईडी हमले हुए हैं। इन हमलों का दावा प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) के प्रमुख रंजीत सिंह नीता और "सर्विलांस एंड रिकॉनिसेंस यूनिट" के फतेह सिंह बागी ने सोशल मीडिया पर किया था। पुलिस का कहना है कि 37 वर्षीय जगजीत सिंह मूल रूप से तरनतारन जिले के मियांपुर गांव का निवासी है। उसने 2010 में छात्र वीजा पर ब्रिटेन जाकर पढ़ाई पूरी की और 2013 में ब्रिटिश सेना में शामिल हो गया। इसके बाद उसने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे प्रतिबंधित संगठनों के साथ संबंध स्थापित किए और अकालजोत खालिस्तान फोर्स (एकेएफ) नामक एक कट्टरपंथी समूह का गठन किया। पंजाब पुलिस ने एक अन्य तस्वीर जारी कर इसे जगजीत सिंह की ताजा तस्वीर बताया है।

पुलिस को संदेह है कि राज्य में पुलिस थानों पर हाल ही में हुए ग्रेनेड हमलों के पीछे इसी ब्रिटिश सिख सैनिक का हाथ है। पंजाब पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को जानकारी दी कि पंजाब में अक्टूबर और नवंबर में कई आतंकी हमले हुए जिनमें हथगोले और 'इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ (आईईडी) से हुए हमले शामिल हैं, दो हमले लुधियाना में हिंदू समूहों के नेताओं के घरों पर पेट्रोल बम का इस्तेमाल करके किए गए। इसके बाद दिसंबर में शहीद भगत सिंह नगर जिले के काठगढ़ पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाली असरों पुलिस चौकी पर एक हथगोला फेंका गया।

इन हमलों की जिम्मेदारी नीता और फतेह सिंह बागी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके ली है। उसने खुद को 'सर्विलांस और रिकॉन्सेंस यूनिट' का हिस्सा बताया, जो कि केजेडएफ के तहत काम करती है। इन केजेडएफ मॉड्यूलों की जांच से पंजाब पुलिस को ब्रिटिश सेना के एक सिख सैनिक जगजीत सिंह (37) का पता चला। ऐसा संदेह है कि जगजीत सिंह अपनी असली पहचान छिपाने के लिए छद्म नाम फतेह सिंह बागी का इस्तेमाल कर रहा है। पुलिस ने कहा है कि जगजीत सिंह की वर्तमान स्थिति और उनकी सेवा में होने की पुष्टि के लिए ब्रिटिश अधिकारियों से जानकारी मांगी जाएगी। यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।

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