December 26, 2024

राजस्थान वन विभाग ने एक बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया, लाल चंदन तस्करी का भंडाफोड़

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जयपुर
कर्नाटक के वन विभाग से मिली सूचना पर राजस्थान वन विभाग ने एक बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है, जिसने पुष्पा-2 फिल्म की तस्करी की कहानी को हकीकत में बदल दिया। अवैध चंदन तस्करी का ये मामला अब राजस्थान के लिए एक बड़ी चेतावनी बन चुका है, और इसके खुलासे के बाद यह सवाल उठता है कि क्या तस्करों की पहुंच सरकार तक है, जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है।

शास्त्री नगर स्थित RSY Enterprises नामक फर्म के खिलाफ यह कार्रवाई 24 दिसंबर को की गई, और यह एक हकीकत से भरी क्राइम स्टोरी की तरह सामने आई। यह फर्म दक्षिण भारत से चंदन की लकड़ी मंगवाकर उसे कर्नाटक में अवैध रूप से भेजने का धंधा चला रही थी। वन विभाग की कड़ी निगरानी और सटीक सूचना ने इस तस्करी के धंधे का पर्दाफाश कर दिया। मुख्य वन संरक्षक राजीव चतुर्वेदी ने बताया कि यह कार्रवाई तस्करी के खिलाफ वन विभाग की सख्ती का हिस्सा है। फर्जी कागजात के सहारे चल रहे इस कारोबार को नष्ट करने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए जा रहे हैं। कर्नाटक वन विभाग द्वारा 19 दिसंबर को दी गई जानकारी के बाद राजस्थान वन विभाग ने इस फर्म के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।

24 दिसंबर को जब विभाग ने शास्त्री नगर स्थित फर्म के पते पर दबिश दी, तो वहां किसी भी तरह का ऑफिस नहीं मिला। लेकिन, ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल के जरिए पते और पुलिस थाना भट्टा बस्ती के सहयोग से फर्म के मालिक यूसुफ खान तक पहुंचने में सफलता मिली। विद्याधरनगर में छापेमारी के दौरान 100 किलो चंदन की लकड़ी, चिप्स, बुरादा और तेल बरामद किए गए। इन सभी उत्पादों के पास कोई वैध ट्रांजिट पास नहीं था, और राजस्थान वन अधिनियम के तहत इन्हें जब्त कर लिया गया। यह पहली बार है जब इस फर्म के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई की गई है। तीन दशकों से यह फर्म चुपके-चुपके इस अवैध व्यापार में लिप्त थी, और अब इसे वन विभाग के द्वारा नकेल कसी जा रही है। इस जब्ती को राजस्थान में अवैध लकड़ी तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।

पुष्पा-2 की तस्करी के किरदार अल्लू अर्जुन की तरह, इन तस्करों की पहुंच और उनकी रणनीतियों का पर्दाफाश इस कार्रवाई के जरिए हुआ है। वन विभाग के द्वारा उठाए गए ठोस कदम तस्करी के इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकते हैं। इस कार्रवाई से वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी, और अवैध तस्करी पर एक बड़ा अंकुश लगेगा।

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