रवि शास्त्री ने इस मैच विनर को 2016 में ही पहचान लिया था, टीम इंडिया के पूर्व फील्डिंग कोच का खुलासा
नई दिल्ली
भारत के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या को इस समय टीम में सबसे महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक माना जाता है। 28 वर्षीय ऑलराउंडर ने आईपीएल 2022 में दमदार प्रदर्शन करने के बाद भारतीय टीम में शानदार वापसी की, जहां उन्होंने गुजरात टाइटन्स के लिए न सिर्फ गेंद और बल्ले से प्रदर्शन किया, बल्कि टीम को पहले ही प्रयास में चैंपियन बना दिया। पांड्या ने पिछले साल टी20 विश्व कप में भारत के निराशाजनक अभियान के बाद चयन के लिए खुद को उपलब्ध नहीं कराया था, क्योंकि उनका पूरा फोकस बैक इंजरी को मात देना था।
कुछ मैचों में कप्तानी कर चुके हार्दिक पांड्या ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद शानदार प्रदर्शन किया और जल्द ही सीमित ओवरों की टीम का एक अभिन्न हिस्सा बन गए। हालांकि, भारत के पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर का मानना है कि 2016 में इस ऑलराउंडर के भारत में पदार्पण करने से पहले ही रवि शास्त्री ने उनकी क्षमता की पहचान कर ली थी, जबकि अनिल कुंबले उस समय भारत के लिए मुख्य कोच थे। रवि शास्त्री ने एक साल के बाद कुंबले की जगह टीम इंडिया के मुख्य कोच का कार्यभार संभाला था।
आर श्रीधर ने क्रिकेट डॉट कॉम से बात करते हुए कहा, "हमने उन्हें भारतीय टीम में एक आउट-एंड-आउट मैच विनर के रूप में देखा। भारत के लिए डेब्यू करने से पहले ही रवि (शास्त्री) भाई ने उनकी क्षमता को देखा। उन्होंने कहा था, 'वह वो खिलाड़ी है जो हमें विदेश में टेस्ट मैच जिताएगा'। वह जानते थे कि हार्दिक विदेश में भारत के लिए प्रभावी होंगे, क्योंकि वह एक ऐसे ऑलराउंडर हैं, जो 140+ का स्कोर बना सकते हैं। इसलिए, हम सभी जानते थे कि हार्दिक टीम में क्या ला सकते हैं। हार्दिक ने सीधे माही, रोहित, विराट से सबक लेना शुरू कर दिया और टीम के लिए उपयोगी साबित होते रहे।"
उन्होंने आगे कहा, "उनकी ताकत यह है कि उन्होंने क्रिकेट खेला, क्योंकि वह खेल से प्यार करते हैं। उन्हें क्रिकेट खेलने में बहुत मजा आता था, चाहे वह बल्लेबाजी हो, गेंदबाजी हो या फील्डिंग हो। हमने उनमें कोई कथित कमजोरी नहीं देखी।" 2017 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने के बाद से हार्दिक पांड्या ने सबसे लंबे प्रारूप में केवल 11 मैच ही खेले हैं। उन्होंने आखिरी टेस्ट मैच सितंबर 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इसके बाद वे चोटिल होते रहे और सिर्फ सीमित ओवरों की क्रिकेट पर फोकस किया।