अध्यक्ष पद पर शशि थरूर बनाम मल्लिकार्जुन खड़गे मुकाबले से उभरी नई तस्वीर
नई दिल्ली
क्या कांग्रेस में बागी गुट जी-23 का अस्तित्व खत्म हो चुका है? कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव के बीच यह सवाल बहुत प्रमुखता से उभरा है। यह सवाल उठने के पीछे कुछ अहम वजहों में से एक है, जी-23 गुट के नेताओं का शशि थरूर के बजाए, मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ आना। जी-23 का हिस्सा माने जाने वाले आनंद शर्मा, बीएस हूडा और मनीष तिवारी मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन में उनके साथ नजर आए। वहीं जी-23 की कांग्रेस में बदलाव की मांग के साथ शशि थरूर अकेले पड़ गए लगते हैं। वह साफ कह रहे हैं कि जिसे पुरानी कांग्रेस चाहिए वो खड़गे के साथ जाए और जिसे बदलाव चाहिए मेरे साथ आए। लेकिन जी-23 के उनके पुरानी साथी ही उनके साथ नहीं नजर आ रहे हैं।
जी-23 ने की थी बगावत
बता दें कि दो साल पहले जी-23 गुट के नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में पार्टी के अंदर आमूल-चूल बदलाव की बात कही गई थी। इसे गांधी परिवार के खिलाफ एक किस्म की बगावत माना गया था। इस गुट में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल के अलावा शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता शामिल थे। कपिल सिब्बल और गुलाम अली तो खैर अब पार्टी में नहीं हैं। वहीं शुक्रवार को मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के वक्त मनीष तिवारी, आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण उनके साथ नजर आए। अब इस बात से जी-23 के अस्तित्व पर सवाल इसलिए उठ रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के दूसरे दावेदार शशि थरूर को इस गुट के नेता ही समर्थन नहीं कर रहे हैं।
थरूर पड़ गए अकेले?
शशि थरूर ने कल कहा था कि खड़गे के साथ पार्टी के बड़े नेताओं का समर्थन है। वहीं उनके साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं की आवाज है। वहीं आज थरूर ने एक बार फिर कहा कि पार्टी में जिस तरह का बदलाव मैं ला सकता हूं, वह खड़गे नहीं ला सकते हैं। इससे पहले जब मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन किया तो ऐसे कयास लगे थे कि वह पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। इस कयास को थरूर के उस बयान से भी बल मिला था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी ने कहा था कि पार्टी का कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं उतारेगी। अब यह बात किसी से छुपी नहीं है कि खड़गे गांधी परिवार के करीबी रहे हैं। ऐसे में कभी जी-23 गुट में शामिल रहे नेता अगर खड़गे का समर्थन कर रहे हैं तो यह हैरान करने वाली है।