January 4, 2025

नए वर्ष में ज्ञान को अपना मार्गदर्शक बनाएं गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

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आमतौर पर हम नए वर्ष में प्रवेश करते समय एक इच्छा-सूची और योजनाएं बनाते हैं। इस वर्ष यह सुनिश्चित करें कि आपकी इच्छाएँ और योजनाएँ ज्ञान से प्रेरित हों। जब हमारी इच्छाओं और कर्मों को ज्ञान की शक्ति मिलती है तो जीवन में केवल आनंद और सुख ही होता है। लेकिन बिना ज्ञान के, हमारी इच्छाएँ कमजोर पड़ जाती हैं, हमारी योजनाएँ साधारण रह जाती हैं और उनमें अनिश्चितता का वातावरण बन जाता है।

ज्ञान का अर्थ है आत्मज्ञान, यानी स्वयं को और इस जीवन को समय और स्थान के संदर्भ में समझना। यह चिंतन करना कि हम इस पृथ्वी पर कब और कैसे आए, और हम इस समय में यहाँ क्या योगदान देना चाहते हैं, यही असली ज्ञान है। जब आप इस दृष्टिकोण और उद्देश्य के साथ चलते हैं कि आप इस ग्रह को एक बेहतर और खुशहाल स्थान बनाने में अपना योगदान देंगे, तो आपका जीवन खुशी से भर जाता है। जब आपके जीवन का उद्देश्य सभी के जीवन में ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रसार करना और समाज को उन्नत करना हो, तो जीवन में अवसाद का कोई स्थान नहीं रह जाता। याद रखें, आप इस समय में इस संसार का प्रकाश हैं। जब दुनिया कठिन समय से गुजर रही है और अनगिनत संघर्षों से घिरी हुई है, तब आप सभी के लिए आशा की एक किरण हैं।

ज्ञान को आत्मसात करने के लिए मौन की आवश्यकता होती है। मौन को रचनात्मकता की जननी कहा गया है। वर्ष में दो या तीन बार मौन के लिए समय निकालें। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, ‘मैं अपनी प्रकृति में वापस आ जाता हूँ, और बार-बार सृजन करता रहता हूँ।’ जब हम अपने स्वभाव में वापस लौटते हैं, तो हमें नई ऊर्जा मिलती है और हमारी रचनात्मकता बढ़ती है। यह हमें हमारे स्रोत से जोड़ता है, सकारात्मक ऊर्जा से भरता है, और हम जो चाहें, उसका सृजन करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।

आत्मज्ञान में गहराई प्राप्त करने के लिए हमें ध्यान को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। कई लोग ध्यान सीख चुके हैं, लेकिन फिर भी इसे अपनी प्राथमिकता नहीं बनाते। इसका कारण यह है कि जब हम खुश होते हैं, तो हम उस खुशी के फल का आनंद लेना चाहते हैं, जो हमारी क्रियाओं से प्राप्त होता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे बिना जड़ों को पानी दिए एक पेड़ या पौधे के फल का आनंद लेना। हमें स्वयं को प्रतिदिन यह याद दिलाना चाहिए कि हमें जड़ों को पानी देना है तभी वह पेड़ हमेशा फल देगा। तो ध्यान को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि हमारे आसपास के सभी लोग भी ध्यान करें।

इस नए वर्ष में आइए, हम यह संकल्प लें कि हम मैत्री को बढ़ावा देंगे और हमारे आस-पास के संघर्षों का समाधान करेंगे। पहले अपना हाथ बढ़ाएं और उन मित्रों से संपर्क करें जो हमसे या हमारी मित्रमंडली से दूर हो गए हैं। आज लोगों, परिवारों और देशों के बीच हर जगह संघर्ष है और यदि हममें से प्रत्येक यह संकल्प लें कि हम समुदायों के बीच की दूरी को समाप्त करेंगे, लोगों को एकजुट करेंगे तो यह हमारे लिए अत्यंत संतोषजनक होगा।

हर वर्ष, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, हमें अनुभव और ज्ञान प्रदान करता है। पिछले वर्ष से मिली शिक्षाओं को लेकर, नए वर्ष में नई ऊर्जा और समर्पण के साथ आगे बढ़ें।

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