January 4, 2025

उत्‍तराखंड सरकार लाई इमरजेंसी में इलाज की नई योजना, अगर पैसे नहीं भी हैं तो नहीं रुकेगा ट्रीटमेंट

0

देहरादून
राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाओं का 'उपचार' शुरू कर दिया है। जिसकी शुरुआत मेडिकल कालेजों से की गई है। स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार ने निर्देश दिए हैं कि राजकीय मेडिकल कालेजों में आपातकालीन चिकित्सा प्रबंधन को और अधिक दुरस्त किया जाए। जिसके लिए नई गाइड लाइन (एसओपी) उन्होंने जारी की है। गाइड लाइन के अनुसार किसी भी अस्पताल का यह दायित्व है कि इमरजेंसी में आने वाले हरेक मरीज को इमरजेंसी मेडिकल केयर उपलब्ध कराए। अगर मरीज के पास पैसे भी नहीं हैं तब भी चिकित्सक या अस्पताल उसके इलाज में न तो किसी तरह की देरी करेंगे और न ही इलाज से इन्कार करेंगे।

पहली प्राथमिकता मरीज को तुरंत उपचार
स्वास्थ्य सचिव ने सख्त हिदायत दी है कि डाक्टर की पहली प्राथमिकता मरीज को तुरंत उपचार उपलब्ध कराने की होनी चाहिए, ताकि उसे बचाया जा सके। स्वास्थ्य सचिव की आपातकालीन चिकित्सा प्रबंधन को लेकर राजकीय मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों के साथ बैठक में इस विषय पर गहन मंथन किया गया। आपातकालीन चिकित्सा प्रबंधन पर लंबे विचार-विमर्श के बाद अस्पतालों के लिए एसओपी जारी की गई है। जिसके तहत ट्राइएज एरिया में मरीजों की त्वरित जांच, क्लीनिक प्रोटोकाल, डाक्युमेंटेशन और क्वालिटी एश्योरेंस आदि को लेकर एक विस्तृत गाइड लाइन बनाई गई है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को 10 मिनट के भीतर इलाज मिलना सुनिश्चित किया जाएगा। इस संबध में लापरवाही होने पर संबंधित मेडिकल कालेज के एमएस या प्राचार्य की जवाबदेही होगी।

यह दिए निर्देश
आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता वाले किसी मरीज को बेड या विशेषज्ञ सेवा के अभाव में भी समुचित उपचार दिया जाएगा।
आपातकालीन विभाग तत्काल उचित जीवन रक्षक देखभाल प्रदान करेगा। जिसमें भावनात्मक सुरक्षा और व्यक्ति-केंद्रित देखभाल शामिल होगी।
आपातकालीन विभाग विशेषीकृत इकाई के रूप में कार्य करेगा। जहां जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली सभी स्थितियों में त्वरित और विविध आपातकालीन देखभाल के लिए पर्याप्त संसाधन व स्टाफ की व्यवस्था रहेगी।
आनकाल फैकल्टी का यह दायित्व है कि वह ईएमओ को अपनी उपलब्धता और संपर्क विवरण के बारे में सूचित करे। उन्हें अपनी आनकाल ड्यूटी के तहत रोस्टर रजिस्टर में हस्ताक्षर करना होगा। रात के समय ड्यूटी रूम में अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहना होगा।
किसी मरीज को देखने में हुई अनावश्यक देरी की स्थिति में इमरजेंसी प्रभारी/एमएस स्थिति की समीक्षा करेंगे। यदि कोई चूक सामने आती है तो दोषी ईएमओ, एसआर या संकाय सदस्य के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
चिकित्सा अधीक्षक यह सुनिश्चित करें कि आपातकालीन विभाग में तैनात कोई कर्मचारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी निजी प्रतिष्ठान से न जुड़ा हो। तैनाती से पहले इस आशय का शपथ पत्र लिया जाए। अगर कोई कर्मचारी मरीजों को निजी नर्सिंग होम या डायग्नोस्टिक सेंटर भेजने में संलिप्त पाया जाता है तो उसे विभाग से हटा उचित कार्रवाई की जाएगी।
इमरजेंसी विभाग किसी भी अस्पताल का चेहरा है। जहां मिलने वाली त्वरित, उचित और समन्वित देखभाल स्वास्थ्य प्रणाली में आम जनता का विश्वास बढ़ाती है। ऐसे में अपने दायित्व का सही ढंग से निर्वहन न कर रहे कर्मचारियों के प्रशिक्षण या उन्हें हटाने की आवश्यकता है।
बिना किसी वाजिब कारण एक से दूसरे विभाग में भेजने पर मरीज को परेशानी होती है। इसे चिकित्सकीय लापरवाही के बराबर माना जाना चाहिए।
मरीज के प्रारंभिक उपचार में वित्तीय बाधा नहीं आनी चाहिए।

इस ओर दें ध्यान
ट्राइएज प्रक्रिया : मरीज की स्थिति की गंभीरता के आधार पर प्राथमिकता देने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण विकसित करें। शीघ्र उपचार को सुनिश्चित करें।
क्लिनिकल प्रोटोकाल : आम आपात स्थितियों के उपचार के लिए दिशा-निर्देश स्थापित करें। प्रभावी परिणाम के लिए स्टाफ का प्रशिक्षण सुनिश्चित करें।
दस्तावेजीकरण : निरंतर देखभाल के लिए सटीक रिकार्ड की प्रक्रिया लागू करें। मरीज की शिकायतों का भी व्यवस्थित रूप से दस्तावेजीकरण करें।
गुणवत्ता आश्वासन : नियमित आडिट और फीडबैक प्रणाली शामिल करें। एसओपी की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें।

आपातकालीन देखभाल का नैतिक पक्ष
त्वरित प्रतिक्रिया : निष्पक्षता के साथ शीघ्र प्रतिक्रिया दें और विशेषज्ञ देखभाल प्रदान करें।
रोगी अधिकार व संचार : रोगियों के हितों और अधिकारों को प्राथमिकता दें। उनके या उनके परिवार के साथ ईमानदारी से संवाद करें।
रोगी की स्थिति : रोग प्रबंधन के दौरान मरीज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखें।
रोगी की गोपनीयता : रोगी की गोपनीयता का सम्मान करें और सुरक्षा करें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed