November 25, 2024

PFI को कोविड-19 के दौरान अपना वर्चस्व बढ़ाने में मिली मदद

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मुंबई

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को कोविड-19 महामारी के दौरान उसके स्वयंसेवकों की ओर से किए गए कार्यों से महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिली।

इन कार्यों में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले मरीजों का अंतिम संस्कार किया जाना भी शामिल है।अधिकारी के मुताबिक, आठ साल पहले तक पीएफआई की मौजूदगी सिर्फ मराठवाड़ा क्षेत्र के नांदेड़ तक सीमित थी, लेकिन पिछले हफ्ते आतंकवादी संगठनों से संबंधों के आरोप में प्रतिबंधित किए जाने के दौरान महाराष्ट्र के 35 जिलों में से 22 में इसके सदस्य बन चुके थे। अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र में पीएफआई की गतिविधियां साल 2014 के बाद प्रकाश में आईं, खासकर नांदेड़ क्षेत्र में। उन्होंने बताया कि अगले कुछ वर्षों में संगठन ने मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी आठ जिलों में सक्रिय सदस्यों की भर्ती कर ली और 2018 तक मुंबई व पुणो में भी उसके सदस्य बन गए।

अधिकारी के मुताबिक, पीएफआई सदस्य बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देते थे। मिसाल के तौर पर उन्होंने 2021 में चक्रवात तौकते से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को रसोई का सामान उपलब्ध कराया था। अधिकारी के अनुसार, महामारी के दौरान पीएफआई के सदस्यों ने कोविड-19 से दम तोड़ने वाले लोगों का अंतिम संस्कार भी किया, क्योंकि संक्रमण की चपेट में आने के डर से रिश्तेदार कई बार ऐसे मरीजों का शव लेने में आनाकानी करते थे। उन्होंने बताया कि पीपीई किट पहने पीएफआई सदस्यों को कई जगहों पर कोविड-19 मृतकों की अंत्येष्टि में मदद करते देखा गया था।

उन्होंने संक्रमण से दम तोड़ने वाले ¨ हिन्दू  मरीजों के अंतिम संस्कार में भी सहायता प्रदान की। अधिकारी के मुताबिक, पुणो में पीएफआई सदस्यों को महामारी से जान गंवाने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने के लिए नगरपालिका प्राधिकरण से इजाजत मिली थी, लेकिन मुंबई में उन्हें इस बाबत अनुमति देने से मना कर दिया गया था, क्योंकि मुंबई पुलिस को संगठन के कट्टरपंथी समूहों के साथ संबंध होने के संकेत मिले थे। स्थानीय पुलिस के अनुसार, 2019 में कोल्हापुर जिले में मौला मुल्ला की अध्यक्षता में होने वाली पीएफआई की बैठकों में लगभग 80 लोग हिस्सा लेते थे।

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