मिशन 2023: बीजेपी सियासी फौज मजबूत करने बदलेगी जिला अध्यक्षों को
भोपाल
प्रदेश के सभी जिलों में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बीजेपी अब जिला अध्यक्षों को बदलेगी। चुनाव के चलते संगठन ने पिछले माह तक इस कार्यक्रम को टाल रखा था। अब इस बदलाव में बीस जिला अध्यक्षों का प्रभावित होना तय माना जा रहा है। 7 से 9 अक्टूबर तक होने वाले प्रशिक्षण वर्ग कार्यक्रम की तैयारियों के बीच इसकी भी चर्चा तेज हो गई है। जिला अध्यक्षों की छुट्टी के मापदंड तय करने के साथ संगठन ने संबंधित जिला अध्यक्षों के विरुद्ध मिली रिपोर्ट का परीक्षण और प्रति परीक्षण भी करा लिया है।
माना जा रहा है कि आने वाले एक माह में संगठन कसावट के सख्त निर्णय लेकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को अनुशासन और पार्टी का निर्णय सर्वोपरि होने का संदेश भी देना चाहता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार संगठन ने तय किया है कि जिन जिला अध्यक्षों का इम्पैक्ट पार्टी के फैसलों के मुताबिक नहीं आ रहा है उन्हें हटाया जाए। कई ऐसे भी जिला अध्यक्ष हैं जिनमें राजनीतिक अनुभव की कमी दिखी है और इसका असर कामकाज पर पड़ा है, वे भी हटाए जाएंगे। कई जिला अध्यक्ष पिछले दो साल में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने में नाकाम रहे हैं। पार्टी के बड़े फैसलों में इन अध्यक्षों ने पूर्व विधायकों, पूर्व पदाधिकारियों की राय नहीं ली और मनमानी फैसले लिए। इसके कारण निकाय चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा।
बीजेपी की एक अक्टूबर को रातापानी सेंक्चुरी में हुई योजना बैठक में भी यह मसला उठा था और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष समेत अन्य नेताओं ने यह बात साफ की है कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को साधने का काम करना है। इनकी अनदेखी नहीं की जाएगी।
फर्जी शिकायतों पर भी होगा एक्शन
संगठन की जानकारी में यह बात भी आई थी कि कुछ जिला अध्यक्ष चुनावी रंजिश निकालने के लिए चुनाव के बहाने पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताओं को निशाने पर लेकर उनके विरुद्ध कार्यवाही के प्रस्ताव भेजे थे। इस मामले को भी संगठन ने गंभीरता से लिया है और ऐसे जिला अध्यक्षों की वर्किंग पर भी एक्शन दिखाई देगा। बीजेपी के अधिकांश जिला अध्यक्षों का कार्यकाल नवम्बर 2022 में खत्म हो रहा है। नवम्बर 2019 में संगठनात्मक चुनाव के बाद 33 नए जिला अध्यक्षों की पहली सूची 5 दिसम्बर 2019 को जारी हुई थी। इसके बाद 24 जिला अध्यक्षों की सूची अलग-अलग जारी हुई। जिला अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है जो इसी साल खत्म हो रहा है।
गुटबाजी करने वाले नेता भी नहीं बख्शे जाएंगे
इसके अलावा जिन जिला अध्यक्षों ने नगर निकाय व पंचायत चुनाव में अपनों को चुनाव लड़ाया, जिन्होंने पार्टी में गुटबाजी की स्थिति पैदा की और उसे रोक नहीं पाए वे जिला अध्यक्ष भी हटाए जाएंगे। कई जिला अध्यक्षों के विरुद्ध पार्टी के कैंडिडेट का विरोध करने के भी आरोप लगे हैं और इसकी शिकायत प्रदेश संगठन तक आने के बाद उसकी तहकीकात संगठन ने अपने स्तर पर कराई है।