September 23, 2024

कैथल में दशहरा की 200 साल पुरानी परंपरा, सौ-सौ फुट के बनते थे रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले

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कैथल
कैथल में दो सौ वर्षों से चली आ रही दशहरा उत्सव परंपरा अलग छाप बनाए हुए है। यहां कलाकारों और पुतलों के आकार में भी काफी बदलाव हुआ है। सामग्री एकत्रित करने में काफी समय लगता था और मेहनत भी काफी होती थी। दशहरा उत्सव समिति की ओर से इस बार रामलीला मैदान में 51 फीट ऊंचा रावण का पुतले का दहन होगा। पहले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ तीनों के करीब सौ-सौ फुट लंबे पुतलों का दहन होता था।

शहर में 1971 में शुरू हुआ रामलीला मंचन
शहर में वर्ष 1971 में रामलीला मंचन की शुरुआत हुई। इसके साथ ही दशहरा उत्सव मनाने का कार्यक्रम आरंभ हुआ। जिले के सीवन कस्बा में सबसे पहले दशहरा उत्सव मनाया गया। यहां करीब सौ फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया गया। इसके बाद यहां दिन की रामलीला के बाद दशहरा के दिन रावण दहन हुआ।

दशहरा उत्सव समिति के प्रधान संदीप सैनी ने कहा कि जिले में दशहरा उत्सव कार्यक्रम दो सौ साल पुराना है। पहले समय के लोगों की काफी भीड़ उमड़ती थी। लोगों का इस के प्रति काफी चाव था। उन्होंने कहा कि पहले समय में कलाकार स्पेशल कारीगर आते थे। पुतला बनाने के लिए जो भी सामग्री उपयोग में होती थी। वो आसपास नहीं मिलती थी। बड़े बड़े शहरों से सामान लेकर आते थे। इसमें समय अधिक लगता था। धीरे-धीरे समय में बदलाव हुआ। संसाधन हुए तो सामान लेकर आने में सुविधा हुई। अब छोटे शहरों में बांस, पत्तियां सहित अन्य सामान आसानी से मिल जाता है।

25 साल पहले सीवन में हुआ करीब सौ फीट के रावण के पुतले का दहन
जानकारी के अनुसार कस्बा सीवन में जिले में सबसे पहले दशहरा उत्सव आरंभ हुआ। यहां करीब सौ फीट ऊंच- रावण के पुतले का दहन किया गया। इसके साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला भी बनाया गया। हजारों रुपये की लागत से जहां एक पुतला तैयार होता था, वहीं अब इसके दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है।

तीन गुना बढ़ गए दाम
रावण पुतला बनाने में चार से पांच सालों में तीन गुना लागत की बढ़ी है। कोरोना काल से पहले एक लाख रुपये में रावण का पुतला बनाया गया था। उसके बाद 1.50 लाख रुपये में लागत दर्ज हुई। इसी वर्ष भी करीब तीन लाख रुपये इस कार्यक्रम की लागत बताई जा रही है। समिति के प्रधान संदीप सैनी का कहना है शुरुआत से लेकर अब तक कई गुना अधिक कार्यक्रम में खर्च हो रहे है। रावण का पुतला बनाने के लिए हजारों रुपये की आतिशबाजी सहित अन्य सामग्री उपयोग होती है। इसके अलावा लाइटिंंग व डीजे सिस्टम पर अतिरिक्त खर्च है।

दो साल बाद शहर में मनाया जा रहा दशहरा उत्सव
कोरोना महामारी के चलते शहर में दो साल दशहरा उत्सव नहीं मनाया गया। इस बाद दशहरा उत्सव को लेकर तैयारियां शुरू की गई है। इस बार शहर में चंदाना गेट स्थित रामलीला मैदान में दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है

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