ज्ञान चेतना में निहित है : ब्रह्मचारी गिरीश जी
विश्व ख्याति प्राप्त चेतना वैज्ञानिक महर्षि महेश योगी जी के आज जन्मदिन पर आयोजित “ज्ञान युग दिवस समारोह” महाकुंभ की धरती प्रयागराज में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस समारोह के साक्षी थे अनंत श्री विभूषित ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, बद्रिकाश्रम, हिमालय । साथ में अनेक विद्वान साधु संतों के साथ महर्षि महेश योगी संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति प्रमुख रही।
गंगा संगम तट के किनारे महर्षि आश्रम के विशाल प्रांगण में उपस्थित हजारों लोगों को आशीर्वाद देते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती महाराज जी ने महर्षि महेश योगी जी की उपलब्धियां का बखान किया। शंकराचार्य महाराज ने बताया कि “महर्षि जी ने अपने गुरुद्वारा प्राप्त ज्ञान विज्ञान और भारतीय संस्कृति को संपूर्ण विश्व में फैलाया। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के भी जो उद्देश्य थे उनको भी महर्षि महेश योगी जी ने पूरा किया है। जगतगुरु शंकराचार्य जी ने महर्षि संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि “बड़े गौरव की बात है कि गिरीश जी महर्षि जी के सभी संकल्पों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।”
समारोह को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि “आज का यह दिन हम सब लोगों को महर्षि जी के वेद ज्ञान, ध्यान, शिक्षा एवं संस्कृति को स्मरण करने और उसे आत्मसात करने का दिन है। ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि जी के जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियां के बारे में विस्तृत जानकारी दी।”
उन्होंने कहा कि महर्षि जी को किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं थी इसका प्रमाण उनके विस्तृत ज्ञान से मिलता है जो उन्होंने पूरी दुनिया को दिखाया है। ब्रह्मचारी जी ने बताया कि महर्षि जी कहा करते थे कि सारा ज्ञान हमारी अपनी चेतना में निहित है और इसी चेतना से हमें सारे ज्ञान की प्राप्ति होती है। गिरीश जी ने कहा कि यह महर्षि जी के ज्ञान को अनेक शोधों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है।
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि महर्षि जी द्वारा प्रणीत भावातीत ध्यान का अभ्यास प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि वह अपने विभिन्न प्रकार की परेशानियां और तनावों से मुक्ति पा सकें।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के प्रमुख चिदानंद जी महाराज ने कहा कि “महर्षि का भावातीत ध्यान जीवन जीने की कला सिखाता है। महर्षि जी ने इसको ज्ञान से जोड़ा यही कारण है कि दुनिया की सार्वभौमिक व्यवस्था में आज ज्ञान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है इसलिए हमें ध्यान में मन लगाना चाहिए। “भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के माध्यम से विश्व शांति की स्थापना विषय पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रोफेसर भुवनेश शर्मा, महर्षि संस्थान की संस्था महा के निदेशक मधुसूदन देशपांडे जी ने भी अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि “मन की शांति भी विश्व शांति का आधार है। मन की शांति प्राप्त करने के लिए महर्षि जी ने सहज, सरल एवं स्वाभाविक पद्धति हम सभी को प्रदान की है। इसके प्रातः संध्या मात्र 20 मिनट नियमित अभ्यासकर्ता को कई भौतिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं जिससे व्यक्ति स्वस्थ एवं आनंदित रहता है। ऐसे व्यक्ति ही पहले समाज में फिर देश में एवं विश्व में शांति स्थापित कर सकते हैं।”
संगोष्ठी का समापन करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि “हमारी कहानियों, दृष्टांतों, रामचरित मानस, श्री मदभगवत गीता आदि के निष्कर्षों में छोटी-छोटी शिक्षाएं अंर्तनिहित हैं जो हमें भारत की परंपराओं के बारे में बतलाती हैं । इनसे हम सबको सीखना चाहिए और इन परंपराओं पर चलते हुए मन एवं कर्म दोनों को निर्लिप्त रखना चाहिए तभी हम शांत रह सकते हैं और विश्व में शांति ला सकते हैं।”
समारोह में जगतगुरु शंकराचार्य की उपस्थिति में सैकड़ों साधु संत, कुंभ मेले में पधारे लोग, महर्षि संस्थान के अधिकारी -कर्मचारी एवं विभिन्न महर्षि विद्या मंदिर विद्यालयों के बच्चे उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ वैदिक गुरु ज्ञान परंपरा के अनुसार वैदिक विधि विधान, वैदिक गुरु पूजन तथा शांति पाठ के साथ प्रारंभ हुआ।