November 25, 2024

रण आदमपुर का, भाजपा vs कांग्रेस में कुलदीप बिश्नोई की अग्निपरीक्षा

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हिसार

भारत निर्वाचन आयोग ने 6 राज्यों के 7 क्षेत्रों में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके अनुसार, हरियाणा की आदमपुर सीट पर भी सियासी रण होने वाला है। खास बात है कि यह सीट कभी कांग्रेस के खाते में थी, लेकिन कुलदीप बिश्नोई के भारतीय जनता पार्टी में आते ही हालात बदले और कांग्रेस अपने ही टिकट पर जीती सीट को फिर जीतने की कोशिश करेगी। खास बात है कि उपचुनाव बिश्नोई के लिए भी बड़ी परीक्षा साबित होंगे।

आदमपुर का सियासी इतिहास
हरियाणा के हिसार जिले में आने वाली आदमपुर सीट साल 1968 से बिश्नोई परिवार के साथ रही है। 1968 से लेकर साल 2000 तक बिश्नोई के पिता भजन लाल ने यहां जीत दर्ज की। वहीं, खुद बिश्नोई यहां से साल 2005, 2009, 2014 और 2019 में जीते। साल 2012 में हुए आदमपुर उपचुनाव में पत्नी रेणुका ने जीत हासिल की थी। फिलहाल, वह इस सीट से दोबारा टिकट हासिल करने की उम्मीद में हैं।
 
ये भी हो सकते हैं उम्मीदवार
कहा जा रहा है कि सीट से पत्नी या बेटे भव्य को भी टिकट दिया जा सकता है। हालांकि, भाजपा टिकटॉक स्टार रहीं सोनाली फोगाट के नाम पर भी विचार कर सकती थी, लेकिन अगस्त में ही गोवा में उनकी मौत हो गई। वह साल 2019 में इस सीट से बिश्नोई के खिलाफ मैदान में उतरी थीं, लेकिन उन्हें 29 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था।

कांग्रेस की क्या है तैयारी
कांग्रेस ने दावा किया है कि बड़ी संख्या में बिश्नोई परिवार के समर्थक उनके साथ आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था, 'आदमपुर से बिश्नोई परिवार के कई बड़े समर्थक कांग्रेस में आ गए हैं। कुछ का नाम लिया जाए, तो पोखरमल बेनीवाल के बेटे और बिश्नोई महासभा (हिसार) के पूर्व प्रमुख प्रदीप बेनीवाल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने भजन लाल के परिवार को आदमपुर में जड़ मजबूत करने में मदद की थी।' खबरें हैं कि इस सीट पर जीत के सहारे कांग्रेस बिश्नोई को सबक भी सिखाना चाहेगी।

उन्होंने कहा था, 'पूर्व एयरमार्शल सुरेंद्र कुमार घोटिया और भजन लाल परिवार के आदमपुर से कई अन्य समर्थक कांग्रेस में आ गए हैं। हम निश्चित रूप से यह सीट जीत रहे हैं।' साथ ही राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी लगातार इस सीट पर मेहनत कर रहे हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि कांग्रेस अगर सीट जीत लेती है, तो भी भाजपा को खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे कांग्रेस को परिवर्तन की हवा दिखाने में मदद मिलेगी। वहीं, अगर भाजपा जीत जाती है, तो वह एक और सीट हासिल कर लेगी और गठबंधन के साथी जेजेपी के सामने और मजबूत बनकर उभरेगी।

 

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