LG के जांच आदेश पर बिफरे CM केजरीवाल,फ्री बिजली नहीं रुकने दूंगा
नई दिल्ली:
दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना की जांच के आदेश दिए हैं. वहीं इस मामले पर अब अरविंद केजरीवाल की प्रतिक्रिया आई है और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. केजरीवाल ने आज ट्वीट करते हुए लिखा, गुजरात को “आप” की फ्री बिजली गारंटी खूब पसंद आ रही है. इसलिए बीजेपी दिल्ली में फ्री बिजली रोकना चाहती है. दिल्ली के लोगों, भरोसा रखना. मैं आपकी फ्री बिजली किसी हालत में रुकने नहीं दूँगा. गुजरात के लोगों, आपको विश्वास दिलाता हूँ कि सरकार बनने पर 1 मार्च से आपकी भी बिजली फ्री होगी.
वहीं एक अन्य ट्वीट में केजरीवाल ने लिखा, आपने हर चीज़ पर इतना टैक्स लगा दिया. इतनी ज़्यादा महंगाई कर दी. लोगों का खून चूस रहे हो. ऐसे में अगर मैं अपने लोगों की बिजली फ्री करके उन्हें थोड़ी राहत देता हूँ तो वो भी आपसे बर्दाश्त नहीं होता? वो भी आप रोकना चाहते हो? ये मैं किसी हालत में नहीं होने दूँगा.
आपने हर चीज़ पे इतना टैक्स लगा दिया। इतनी ज़्यादा महंगाई कर दी। लोगों का खून चूस रहे हो।
क्या है पूरा मामला
एलजी विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को उन आरोपों की जांच करने को कहा है, जिनके मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी राशि भगुतान में अनियमितता बरती गई है. एलजी ने 7 दिनों के भीतर चीफ सेक्रेटरी से रिपोर्ट मांगी है. उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से कहा है कि वह इस मामले की जांच करें कि जब 2018 में DERC यानी दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी DBT यानी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर करने पर विचार कर सकती है. जैसा एलपीजी के मामले में की जा रही है, तो फिर इसको अब तक लागू क्यों नहीं किया गया है? प्रतिष्ठित वकीलों, जूरिस्ट और लॉ प्रोफेशनल ने आरोप लगाया है कि यह भ्रष्टाचार का सबसे पुख्ता मामला है.
उपराज्यपाल के मुताबिक उनके सचिवालय को इस मामले में बहुत बड़े घोटाले की शिकायत मिली है. आरोप के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मिन शाह, आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता… इन दोनों को बीआरपीएल और बीवाईपीएल में डायरेक्टर बनाया गया और इन्होंने बड़ा घोटाला किया. यह discom कंपनियां अनिल अंबानी ग्रुप की हैं, जिसमें दिल्ली सरकार 49% की हिस्सेदार है.