राजस्थान: किसानों ने अपने खेत में पैदा हुआ लहसुन स्थानीय नदी में बहाया
जयपुर
राजस्थान के बारां जिले के आधा दर्जन गांवों में लहसुन उत्पादक किसान इन दिनों काफी परेशान हैं। किसानों की परेशानी का कारण है कि बाजार में उन्हे लहसुन का सही भाव नहीं मिलना है। किसानों को बाजार में लहसुन की इतनी कम कीमत मिल रही है कि उनका घर चलाना मुश्किल हो रहा है।
लहसुन पैदा करने में हुआ खर्च भी नहीं मिल रहा
बारां जिले के बोहत कस्बे और आसपास के तीन गांवों के किसानों ने दो दिन पहले अपने खेत में पैदा हुआ लहसुन स्थानीय नदी में बहा दिया। नदी में लहसुन बहाने वाले किसानों में शामिल रामधन ने बताया, दो साल पहले सही भाव नहीं मिले तो सड़के पर फेंके थे। अब नदी में बहा रहे है। लहसुन पैदा करने में हुआ खर्च भी नहीं मिल रहा है।
इस बार जो स्थिति लहसुन के भाव है,वह पहले कभी नहीं
लहसुन पैदा करने वाले किसान चंद्रभान, गालव, हेमराज और कालूलाल का कहना है कि पीढ़ियों से इसी फसल की खेती करते हैं। लेकिन इस बार जो स्थिति लहसुन के भाव कम मिलने से हुई है, वह पहले कभी नहीं हुई। कम ज्यादा भाव बाजार में होते रहते हैं। लेकिन इस बार तो किसानों को लागत भी नहीं मिल रही है।
किसानों का कहना है कि खेत में लहसुन के बीज की बुवाई से लेकर उत्पादन का खर्च 25 से 30 हजार रुपये प्रति बीघा हो जाता है। वर्तमान में किसानों द्वारा उत्पादन में किया खर्च निकालना तो दूर की बात है। लहसुन कटाई का काम करने वाले मजदूरों का पैसा और मंडी तक लाने का किराया भी खुद के पास से देना पड़ रहा है। घर में जमा रकम खर्च हो रही है। इस समय मंडी में एक रुपये से लेकर 11 रुपये प्रति किलो लहसुन बिक रहा है, जिससे किसानों को घर से मंडी तक लाने का खर्च भी नहीं निकल रहा है।
करीब पांच क्विलंटल लहसुन नदी में बहाया
किसान प्रताप ने कहा, मैंने दो बीघा खेत में लहसुन की पैदावार की थी, जिससे मात्र सात हजार रुपये मिले हैं, जबकि खर्च 50 हजार रुपये से ज्यादा हुआ है। किसान नरेश ने कहा, मेरे पास एक ट्रोली बिना कटाई का लहसुन रखा हुआ था। लहसुन की कटाई और मंडी ले जाने का खर्च नहीं मिलने पर करीब पांच क्विलंटल लहसुन स्थानीय नदी में बहा दिया । इस साल लहसुन की फसल घाटे का सौदा साबित हुई है। पांच सौ रूपये प्रति क्विंटल का भाव मंडियों में मिल रहा है।