हिमाचल की सियासत: टूटती कांग्रेस संभाल रहे ‘SSS’, CM पद के हो सकते हैं दावेदार
शिमला
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस फिलहाल नेताओं के दल छोड़ने और पार्टी के अंदर जारी कथित झगड़ों का सामना कर रही है। कहा जा रहा है कि ऐसे में राज्य में तीन बार के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर उभर रहा है। हालांकि, अभी तक इसे लेकर कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन सुक्खू फिलहाल टूटती कांग्रेस के चुनाव समिति के प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
कौन हैं सुखविंदर सुक्खू
नादौन से तीन बार के विधायक सुक्खू राज्य में कांग्रेस की चुनाव समिति के प्रमुख हैं। उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी और बाद में पार्टी के प्रदेश प्रमुख बने। कहा जा रहा है कि गढ़ कहे जाने वाले नादौन से सुक्खू का टिकट लगभग तय है। 58 वर्षीय नेता को स्थानीय लोगों और पार्टी के कैडर में अच्छा समर्थन हासिल है।
क्या है चुनौतियां?
फिलहाल, सुक्खू के सामने भी कांग्रेस में जारी तनाव भी एक बड़ी चुनौती है। माना जाता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद खींचतान और बढ़ गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि 2022 चुनाव के दौरान राज्य में सीएम पद को लेकर तनाव बढ़ सकता है।
टिकट के लिए जोर आजमा रहे दिग्गज
हिमाचल प्रदेश में 68 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची को लेकर काम जारी है। इसी बीच पार्टी के अंदर ही बने समूह अपने-अपने वफादारों के लिए टिकट की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से ली गई चुनाव पूर्व बैठक के दो दिन बाद ही नेताओं और टिकट की चाह रखने वाले दिल्ली में जुटने लगे थे। सितंबर में हमीरपुर जिले के सुजानपुर में आयोजित रैली में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह नहीं पहुंची थीं। खबर है कि अपने वफादारों के नामों पर टिकट को लेकर विचार नहीं किए जाने के चलते भी सिंह नाराज हैं। साथ ही रैली से नदारद रहने की वजह भी इसी नाराजगी को माना जा रहा है। इधर, विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री और सुक्खू भी लगातार अपने वफादारों के लिए टिकट पर जोर आजमा रहे हैं।
20 सीटों पर नहीं बन रही बात
खबरें हैं कि कांग्रेस राज्य की 20 सीटों पर सहमति बनाने में संघर्ष कर रही है। इनमें शिमला (शहरी), धर्मशाला, सुलाह, नूरपुर और शाहपुर, पछाड़, मंडी, भारमौर शामिल हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि बुधवार को सोनिया के दिल्ली लौटने के बाद केंद्रीय चुनाव समिति लंबित सीटों पर बड़ा फैसला ले सकती है। कांग्रेस की चुनाव समिति 14 अक्टूबर को लंबित क्षेत्रों पर उम्मीदवारों के नामों को लेकर बैठक कर सकती है।
तैयारियों में भाजपा निकली आगे
एक ओर जहां कांग्रेस राज्य में प्रियंका गांधी वाड्रा की 14 सितंबर को होने वाली रैली का इंतजार कर रही है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में उतरकर भारतीय जनता पार्टी को तैयारियों में बढ़त दिलाते नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी ने 5 अक्टूबर को बिलासपुर में जनसभा की थी। वह 13 अक्टूबर को चंबा में जनसभा को संबोधित करने वाले हैं।
बड़े नेता छोड़ रहे साथ
गुटबाजी की खबरों के बीच प्रदेश कांग्रेस नेताओं के दल-बदलने से भी परेशान नजर आ रही है। सितंबर के अंत में ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हर्ष महाजन ने कांग्रेस को अलविदा कहने का फैसला कर लिया। उनका कहना था कि पार्टी को अकेले ही आगे बढ़ाने वाले वीरभद्र के निधन के बाद कांग्रेस जर्जर हो गई है, जिसके पास न तो नेतृत्व है और न ही विश्वसनियता है। इससे पहले वरिष्ठ नेता और 5 बार के विधायक राम लाल ठाकुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष का पद छोड़चुके हैं। उनसे पहले पवन काजल और लखविंदर राणा ने भाजपा का रुख किया था। साथ ही पूर्व टेलीकॉम मंत्री सुखराम के पोते आश्रय शर्मा भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं।