इंटरपोल ने गुरपतवंत सिंह के खिलाफ नहीं जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस, भारत के दावे को बताया बेदम, क्यों?
नई दिल्ली
इंटरपोल ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर भारत सरकार को बहुत बड़ा झटका दिया है और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ केंद्र सरकार के मामले को झटका देते हुए, इंटरपोल ने कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के कानूनी सलाहकार और संस्थापक के खिलाफ आतंकी आरोपों पर रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारत के दूसरे अनुरोध को भी खारिज कर दिया है। इंटरपोल का ये फैसला भारत सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।
इंटरपोल ने क्यों खारिज किया अनुरोध
रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरपोल ने कहा है कि, भारतीय अधिकारी गुरपतवंत सिंह के खिलाफ अपने मामले का समर्थन करने के लिए पर्याप्त जानकारी सौंपने में नाकाम रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि, इंटरपोल की तरफ से भारत सरकार के UAPA कानून की भी संकेतों में आलोचना की गई है और संकेत दिए हैं, कि अल्पसंख्यकों और एक्टिविस्टो के खिलाफ इस कानून का दुरूपयोग किया गया है और उचित प्रक्रिया अपनाए बिना उनके अधिकारों का सम्मान नहीं किया जा रहा है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि, इंटरपोल ने इस बात को स्वीकार किया है, कि पन्नू एक "हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी" है और एसएफजे एक ऐसा समूह है, जो एक स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करता है। फिर भी, इंटरपोल ने यह निष्कर्ष निकाला है, कि पन्नून की गतिविधियों का एक "स्पष्ट राजनीतिक आयाम" है, जो इंटरपोल के संविधान के अनुसार रेड कॉर्नर नोटिस का विषय नहीं हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरपोल के कमीशन फॉर द कंट्रोल ने अगस्त महीने में ही भारत सरकार को अपने फैसले के बारे में बता दिया था, जब उसने भारत सरकार के अनुरोध पर पन्नू के खिलाफ जांच की और पन्नू ने जो अपना एप्लीकेशन दायर किया था, उसकी भी जांच की और भारत सरकार के अधिकारियों ने जो रिपोर्ट्स दी थी, उसका मूल्यांकन करने के बाद इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस को खारिज करने का फैसला लिया। सूत्रों ने कहा कि, जून के अंत में आयोजित एक सत्र के दौरान, इंटरपोल आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि, भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा "अपराध की आतंकवादी प्रकृति" और पन्नू की "संभावित सक्रिय और सार्थक भागीदारी" दिखाने के लिए "अपर्याप्त जानकारी" प्रदान की गई है और उससे ये साबित नहीं होता, कि पन्नू आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है।"
भारत ने इंटरपोल में क्या दलील दी?
आपको बता दें कि, एनसीबी, सीबीआई के अधीन कार्य करता है और भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस अनुरोधों को संसाधित और समन्वयित करता है। वहीं, खालिस्तानी अलगाववादी पन्नू के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से एनसीबी द्वारा 21 मई 2021 को रेड कॉर्नर नोटिस के लिए अनुरोध किया गया था। वहीं, भारत सरकार पहले ही एसजेएफ पर प्रतिबंध लगा चुकी है। इंडियन एक्सप्रेस ने एनआईए से इंटरपोल के कदम के बारे में पूछा, लेकिन एजेंसी के प्रवक्ता टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। सूत्रों ने बताया कि, पन्नू के आवेदन पर इंटरपोल कमीशन में भारत सरकार ने 3 फरवरी 2021 को मोहाली स्थिति विशेष अदालत में दायकर पन्नू के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट का हवाला दिया। इसमें कहा है, कि एनआईए ने अपनी जांच में इस बात को सत्यापित किया है, कि पन्नू 'भर्ती करता है', 'कट्टरपंथी बनाता है'। इसमें एनआईएन ने निहाल सिंह उर्फ फतेह सिंह नाम के एक शख्स का हवाला दिया था और कहा है, कि इस नाम से पहचाने गये एक सहयोगी के नाम से पन्नू सोशल मीडिया के जरिए आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है।