November 30, 2024

साहेब मेरी जमीन नम्बर रिकार्ड मे गुम, फिर भी पॉच लोगो को हो गयी उसकी रजिस्ट्री

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राजस्व विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की ढेरों शिकायतें, तहसील से गायब हो रही जमीन संबंधित फाइलें, प्रशासन बेखबर

बक्सवाहा
नगर में जमीन दलाल बढ़ते जा रहे हैं और कारोबारी भी, बक्सवाहा का दायरा बड़ा और इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा जमीनों की गड़बड़ी देखी जा रही है बकस्वाहा विकासखंड के कसेरा, सुनहरा,और इससे जुड़े इलाकों में जमीन खरीद-फरोख्त का काम तेजी से जारी है शिकायतें भी इन्हीं जगहों से ज्यादा आ रही है लोग लगातार राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की शिकायतें कर रहे हैं कभी जमीन सीमांकन में गड़बड़झाले तो कभी दूसरे मामले की, हैरानी यह है कि जमीन की खरीदी नामांतरण होने के बावजूद भी ऑनलाइन रिकॉर्ड में भी जमीन का नंबर ना मिलना, कहीं किसी को मृत कर देना, इन सब मामलों में राजस्व एक अपनी अलग पहचान बना कर सुर्खियों में बना हुआ है।

बक्सवाहा के राजस्व में एक अजीब और गरीब का मामला सामने आया है जहां एक किसान वृद्ध अपनी जमीन का नंबर ढूंढने में 3 साल व्यतीत करने के बावजूद अपनी जमीन का नंबर  आखिर कहां गया खसरा और सीमांकन रिपोर्ट लेने लोग भटक रहे और नामातरण पंजी की नकल व हस्त लिखत नकल  देने में राजस्व कर्मचारियों की मनमर्जी चल रही है इस तरह की कई शिकायतें  संबंधित अधिकारी के पास पहुंच रही हैं लेकिन कार्यवाही नहीं हो रही है यही कारण है कि जमीन के मामलों में छोटे से छोटा काम लेकर तहसील जाने वाले लोग परेशान हैं या जिनका काम हो रहा है सिर्फ दलालो के माध्यमों से होता है इसको लेकर राजस्व इस समय लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।

पढ़िए पूरा मामला
बक्सवाहा निवासी कुंदन लाल दुबे के चाचा द्वारका प्रसाद पिता कमलपति ब्राह्मण के नाम पर बक्सवाहा हल्का कसेरा ग्राम में भूमि खसरा नंबर145/1/14 रकबा 2.023 को बिना किसी परिवार के सदस्य की अनुमति के विक्रय कर दिया गया कुंदन लाल दुबे के चाचा ने अपना जीवन काल अपने भाई के साथ बिताया द्वारका प्रसाद की मृत्यु के बाद उस जमीन का हकदार परिवार के सदस्य कुंदन लाल दुबे बने कसेरा हल्का की जमीन वर्ष 2010 तक द्वारका प्रसाद दुबे के नाम पर बक्सवाहा राजस्व में दर्ज थी 2011-12 में यह जमीन बाबूलाल पिता बृजलाल जैन बक्सवाहा एवं वर्ष 2014 – 15 में जमीन विकास पिता राजगोपाल जोली निवासी दमोह के नाम पर दर्ज देखी गई। इसकी जानकारी जब कुंदन लाल दुबे को लगी तो उन्होंने 1 फरवरी 2021 को बक्सवाहा तहसील में आवेदन देकर अपने जमीन का नामांतरण एवं संपूर्ण रिकॉर्ड के आवेदन लगाए।

आवेदन के बावजूद भी वृद्ध 3 साल से तहसील एवं बिजावर एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगा रहा है उसे आज दिनांक तक अपनी जमीन का नंबर नहीं मिला जिसके बाद उसने छतरपुर कार्यालय में आवेदन देकर जमीन के नंबर का पता लगाने का प्रयास किया है।

कब हुई जमीन की हेरा फेरी
जानकारी के अनुसार बक्सवाहा राजस्व में जमीन की हेरा फेरी लगभग वर्ष 2014- में  की गई है इस जमीन की हेराफेरी में जमीन खरीदने वाले बाबूलाल पिता बृजलाल शाहगढ़ के द्वारा लगभग जमीने क्रय और विक्रय की गई है।

सोचने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी जमीनों की हेरा फेरी भू माफियाओं द्वारा की गई और गरीब किसानों की जमीनों का सौदा उनकी बिना अनुमति के कर दिया इसमें कौन दोषी है क्या उन पर कार्यवाही होगी।

जब बक्सवाहा राजस्व से उस जमीन की रजिस्ट्री तीन बार हुई और रजिस्ट्री के बाद  जमीन का खसरा नंबर गायब कैसे हुआ किसान की जमीन बक्सवाहा कसेरा हल्का में 2015 तक दर्ज रही लेकिन इसके बाद राजस्व की रिकॉर्ड में वृद्ध की जमीन का खसरा नंबर ही गायब है जिसके लिए वह आज भी दर-दर भटक रहा है।

क्यो और कब से हुई जमीनो मे गडबडी
सन 2000 के लगभग विदेशी कंपनी रियो टिन्टो का क्षेत्र मे पदार्पण हुआ और कंपनी ने धीरे धीरे अपना काम प्रारंभ किया और लगभग 2010-15 के बीच कंपनी को लीच की स्वीकृती की खबर फैलने लगी  इसी बीच दिल्ली, हरियाणा सहित देश के विभिन्न कोने के लोगो की नजर बकस्वाहा की जमीन पर पडी और फिर बकस्वाहा मे बडी संख्या मे जमीनो के दलाल संक्रिये हुये और उन दलालो ने बकस्वाहा क्षेत्र की जमीने बिकवाना प्रॉरंभ की चूकी खरीदार  सिर्फ बक्स्वाहा सीधे रजिस्ट्री कराने आते थे  उन्हे न जमीन से मतलब होता था न किसी कागज से सीधा रजिस्ट्री हुई और उन्होने दलाल के माध्यम से ही नामातरण की फाईल तैयार करायी और बस काम खत्म। यही से जमीनो मे गड़ाबडी का काम चालू हो गया क्योंकि बाहर से आने बाले भूमफियाओ से दलाल से लेकर अधिकारी कर्मचारियों को जरूरत से ज्यादा सुबिधा शुल्क देते थे जिससे अब दलालो और कर्मचारियों ने जमीनो  के रिकार्ड से छेडछाड़ करना चालू किया और सैकडो लोगो की जगह फर्जी तरीके से विकवा दी। अब जब ये मामले  खुलना चालू हुये तो जमीनो में  गडाबढी के मामलो की बढ़ोतरी हो गयी है। अब ये देखना रोचक होगा की प्रशासन इस चुनौती से कैसे निपटती है।

मछलीयो का शिकार मगरमच्छ सुरक्षित
अभी कार्यवाही के नाम सिर्फ हितगाही को शिकार किया जा रहा है जबकि दोषी तो केता बिकेता गवाह शपथ पत्र नोटरी कर्ता रजिस्ट्री लेखक फर्जी पहचान पत्र बनाने बाले पटवारी रजिस्ट्री अधिकारी के साथ नामातरण कर्ता भी इन पर कार्यवाही कब होगी प्रशासन मौन है. इस मामले मे एस डी एम राहुल सिलाडिया का कहना है की बकस्वाहा मे एक पूरा गिरोह सक्रिय है जो जमीन के मामलो मे हेरफेर करा कर लोगो के साथ धोखाधड़ी कर रहा है इन सभी मामलो की जॉच करवा कर कडी से कडी कार्यवाही की जावेगी।

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