क्या आप सच में स्वस्थ हैं? गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

केवल एक स्वस्थ कली ही खिल सकती है। इसी प्रकार, केवल एक स्वस्थ व्यक्ति ही सफल हो सकता है। स्वास्थ्य केवल रोगों का अभाव नहीं है, बल्कि यह मानसिक रूप से शांत और भावनात्मक रूप से कोमल होने की अवस्था भी है। यदि मन कठोर और अस्थिर हो, तो व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होता। जब भावनाएँ उथल-पुथल हों, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से स्वस्थ नहीं होता।
संस्कृत में अच्छे स्वास्थ्य की अवस्था को “स्वस्थ” कहा जाता है। इसका अर्थ केवल शरीर या मन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपने भीतर स्वयं में स्थापित होने की स्थिति को भी दर्शाता है। स्वास्थ्य एक दिव्य उपहार है जो हमारे शरीर और मन दोनों को प्रभावित करता है। एक सशक्त मन दुर्बल शरीर को साथ लेकर चल सकता है पर कई बार दुर्बल मन बलिष्ठ शरीर को भी लेकर नहीं चल पाता।
स्वास्थ्य की शुरुआत होती है मन से, जो एक सूक्ष्म तत्त्व है। जब मन शांत, स्पष्ट और सुखमय होता है, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए, मानसिक शांति को बनाए रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। ध्यान का अभ्यास करने से मन को शांत और स्थिर किया जा सकता है, जिससे शरीर को भी लाभ होता है।
वायु तत्त्व भी स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह हमारी श्वास से जुड़ा है। हमारे श्वास में कई रहस्य छुपे हैं। क्या आपने कभी अनुभव किया है कि जब आप क्रोधित होते हैं, तो आपकी साँस तेज और भारी हो जाती है? जब आप दुखी होते हैं, तो साँस धीमी हो जाती है? हर भावना का श्वास के साथ एक निश्चित तालमेल होता है। जब हम श्वास और भावनाओं के बीच के इस संबंध को समझते हैं, तो हम अपने जीवन को और अधिक सामंजस्यपूर्ण बना सकते हैं। अगर हम अपनी साँसों को नियंत्रित करना सीख लें, तो हम अपने मन को भी नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए, गहरी श्वास लेने की तकनीकों का अभ्यास करना चाहिए।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जल और भोजन का भी अत्यंत महत्त्व है। जल तत्त्व शरीर के शुद्धिकरण और संतुलन के लिए आवश्यक है। जल द्वारा शरीर को शुद्ध रखा जा सकता है, जिससे शरीर को नई ऊर्जा मिलती है। इसी प्रकार, भोजन भी हमारी स्वास्थ्य प्रक्रिया का एक अहम् हिस्सा है। हमारा भोजन ऐसा होना चाहिए जो आसानी से पच जाए और शरीर में हल्कापन बना रहे, इसके लिए हमें शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए।
हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और प्रकृति के साथ जुड़कर अपने स्वास्थ्य को सही दिशा में ले जाना है। हर वर्ष कम से कम एक सप्ताह स्वयं के लिए निकालें,कुछ समय मौन में बिताएँ और कुछ सृजनात्मक करने का आनंद लें, जिससे हम स्वयं को फिर से ऊर्जा से भर सकें। यह प्रक्रिया जीवन को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी बेहतर बनाती है।
सच्चा स्वास्थ्य सिर्फ दवाओं और डॉक्टरों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि यह आपके मन, शरीर और आत्मा के संतुलन से जुड़ा होता है। जब हम अपने भीतर स्थिरता लाते हैं, तो हमारा पूरा जीवन ऊर्जावान और आनंदमय बन जाता है।
तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे, “क्या आप स्वस्थ हैं?”, तो सोचें—क्या आप केवल बीमारियों से बचे हुए हैं, या सच में पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं?